प्रयागराज (मानवी मीडिया): बच्चे के साथ ओरल सेक्स के एक मामले की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस अपराध को 'गंभीर यौन हमला' नहीं माना। ये आदेश हाईकोर्ट ने बच्चे के साथ ओरल सेक्स के एक मामले में निचली कोर्ट से मिली सजा के खिलाफ सुनवाई करते हुए दिया है। हाईकोर्ट ने बच्चे के साथ ओरल सेक्स के एक मामले में निचली अदालत से मिली सजा को घटा दिया है। साथ ही आरोपी पर पांच हजार का जुर्माना लगाया गया। अदालत ने इस प्रकार के अपराध को पॉक्सो एक्ट की धारा 4 के तहत दंडनीय माना। परंतु कहा कि यह कृत्य एग्रेटेड पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट या गंभीर यौन हमला नहीं है। लिहाजा ऐसे मामले में पॉक्सो एक्ट की धारा 6 और 10 के तहत सजा नहीं सुनाई जा सकती।
न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने यह फैसला सुनाया है। सोनू कुशवाहा ने सेशन कोर्ट के द्वारा सुनाई गई सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में अपीलकर्ता पर आरोप था कि उसने दस साल के बच्चे को बीस रुपये देकर उसके साथ ओरल सेक्स किया था। जाहिर है हाईकोर्ट ने इसे गंभीर यौन हमला नहीं माना।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि एक बच्चे के मुंह में लिंग डालना ‘पेनेट्रेटिव यौन हमले’ की श्रेणी में आता है, जो यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 4 के तहत दंडनीय है, परंतु अधिनियम की धारा 6 के तहत नहीं। इसलिए न्यायालय ने निचली कोर्ट द्वारा अपीलकर्ता सोनू कुशवाहा को दी गई सजा को 10 साल से घटाकर 7 साल कर दिया।