रामपुर (मानवी मीडिया) : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैली में आत्मदाह की धमकी देने वाली एक दुष्कर्म पीड़िता का वीडियो वायरल होते ही स्थानीय पुलिस हरकत में आ गई। पुलिस ने मंगलवार को रामपुर में एक रैली में मुख्यमंत्री के संबोधन कार्यक्रम से कुछ घंटे पहले दुष्कर्म पीड़िता की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया है। उसने आरोप लगाया कि मैं पिछले सात महीनों से अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए असफल प्रयास कर रही हूं।
रिपोटरें के अनुसार, महिला एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता है। उसने आरोप लगाया कि जिस अस्पताल में वह काम करती है वहां 5 अप्रैल को यूपी पुलिस का एक अधिकारी और उसका दोस्त घुस आए और संपत्ति विवाद को लेकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। उसने इंस्पेक्टर रामवीर सिंह यादव और उसके दोस्त विनोद सिंह यादव को आरोपी बताया है।
पुलिस अधीक्षक (रामपुर) अंकित मित्तल ने कहा, वायरल वीडियो को संज्ञान में लेते हुए महिला को बयान देने के लिए बुलाया गया था। उसने गंज कोतवाली थाने के एक इंस्पेक्टर और उसके दोस्त पर सामूहिक दुष्कर्म और शारीरिक हमले का आरोप लगाया है। उसकी शिकायत पर इंस्पेक्टर रामवीर सिंह यादव, विनोद सिंह यादव, मनोज और विजय के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है।
बाद में मंगलवार शाम दोनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, रामपुर, संसार सिंह ने कहा, सम्भल पुलिस द्वारा आरोपी पुलिस अधिकारी के खिलाफ जांच के आदेश दिए गए हैं, जिस पर सबूत नष्ट करने का भी आरोप लगाया गया है। पीड़िता ने संवाददाताओं से कहा, घटना के बाद से मैं न्याय पाने के लिए इधर-उधर भाग रही हूं। पुरुषों ने मुझे जान से मारने की धमकी भी दी लेकिन वह मुझे नहीं रोक सके। मैं राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) भी गई।
उन्होंने यह भी कहा कि कई बार याद दिलाने के बावजूद जिला प्रशासन ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की।
इस बीच, एक आरोपी विनोद सिंह यादव ने महिला के आरोपों का खंडन किया।
उन्होंने कहा, उसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है। महिला रामपुर में एक अवैध अस्पताल चलाती है। मैंने उससे एक संपत्ति खरीदी थी और उसे 50 लाख रुपये का भुगतान किया था। लेकिन जब जगह खाली करने का समय आया, तो उसने इनकार कर दिया और मुझे और इंस्पेक्टर को एक झूठे दुष्कर्म के मामले में फंसा दिया।