लखनऊ: (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान ने आज प्रेसवार्ता में उत्तर प्रदेश क्लाइमेट चेंज कान्क्लेव-2021 के ‘‘लोगो‘‘ का अनावरण किया। इस अवसर उन्होंने प्रेस-प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जर्मन एजेंसी फॉर डेवलपमेन्ट कारपोरेशन (जीआईजेड) के सहयोग से आगामी 28 एवं 29 अक्टूबर को इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में दो दिवसीय ‘‘उत्तर प्रदेश क्लाइमेट चेंज कान्क्लेव-2021’’ का आयोजन किया जा रहा है। कान्क्लेव का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा किया जाएगा।
चौहान ने कहा कि दो दिवसीय कान्क्लेव में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, चुनौतियों तथा समाधानों पर शिक्षाविद्ों, वैज्ञानिकों तथा विद्वानों द्वारा विचार व्यक्त किये जाएंगे। सम्मेलन में कुल 11 सत्र आयोजित होंगे। प्रथम दिवस को 05 सत्र तथा द्वितीय दिवस को 6 सत्र रखे गये हैं। पहले दिन रोल ऑफ इनवायरमेंटल लीगल फ्रेमवर्क इन क्लाइमेट एक्शन, क्लाइमेट साइंस-डिकोडिंग 1.5 डिग्री सेंटीग्रेट एंड क्लाइमेट वलनेरेबिलिटी इन उत्तर प्रदेश, क्लाइमेट चेंज-पॉलिसीज एंड गवर्नेंस फॉर एडाप्शन, मिटिगेशन एंड ग्रीन एनर्जी, इंटीग्रेशन ऑफ सीसीए एंड डीपीआर इन डेवलपमेंट स्कीम्स/प्लानिंग (फोकस ऑन ग्राम पंचायत डेवलपमेंट प्लानिंग/लोकल प्लानिंग) तथा नेचर बेस्ड सॉल्यूशन टु क्लाइमेट चेंज एंड नेचुरल डिजास्टर्स का आयोेजन होगा। इसी तरह दूसरे दिन सस्टेनेबल लाइफस्टाइल एण्ड कार्बन फुटप्रिंट, सर्कुलर इकॉनमी, रिसोर्स एफिशिएंसी एंड क्लीनर प्रोडक्शन फॉर क्लाइमेट मिटिगेशन, रिसर्च, नॉलेज एंड इनफॉरमेशन नीड्स फॉर एड्रेसिंग क्लाइमेट चेंज एंड एयर पल्यूशन, इस्टैब्लिशिंग कॉहेरेन्स बेटवीन एयर पल्यूशन एण्ड क्लाइमेट चेंजः चैलेंजेस, अपारचुनिटीज एंड फ्युचर प्रास्पेक्ट्स, फाइनेन्सिंग क्लाइमेट एक्शन: अपारचुनिटीज एण्ड चैलेंजेस फॉर पब्लिक एंड प्राइवेट सेक्टर, रोल ऑफ मीडिया इन क्लाइमेट एडवोकेसी एण्ड अवेयरनेस आदि विषयों पर वक्तागणों द्वारा विचार व्यक्त किये जाएंगे।
मंत्री ने कहा कि इसके साथ ही कान्क्लेव के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता अश्विनी कुमार चौबे, केन्द्रीय राज्यमंत्री, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, फगन सिंह कुलस्ते, केन्द्रीय राज्यमंत्री, इस्पात एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा अर्जुन राम मेघवाल, केन्द्रीय राज्यमंत्री, संसदीय कार्य एवं संस्कृति मंत्रालय आदि द्वारा की जाएगी। उन्होंने कहा कि विगत वर्षों में समग्र विश्व ने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को देखा है। जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक पारिस्थितिक तंत्र, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति और मानव स्वास्थ्य को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है। संयुक्त राष्ट्र के इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के शब्दों में, ‘‘ग्लोबल वार्मिंग तेज हो रही है। वर्ष 1950 के दशक से देखे गए कई परिवर्तन दशकों से सहस्राब्दियों तक अभूतपूर्व हैं।’’ जैसे-जैसे जलवायु संकट की तात्कालिकता तेज होती है, वैसे-वैसे हमें अपने संसाधनों के माध्यम से सबसे अधिक प्रभावी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है।चौहान ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए यह अत्यन्त महत्वपूर्ण है कि स्थानीय स्तर पर इसके प्रभावों के न्यूनीकरण के लिए प्रयास प्रारंभ किये जाएं। जीआईजेड के सहयोग से जलवायु परिवर्तन पर पहला सम्मेलन आयोजित कर रहा है। शिक्षाविदों, विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं सहित विभिन्न विद्वानों के बहुमूल्य सुझावों और विचारों से जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाव और समाधान खोजने की दिशा में यह सम्मेलन एक अद्वितीय मंच के रूप में कार्य करेगा।
चौहान ने कहा कि भारत में ताइवान सरकार के आधिकारिक प्रतिनिधि राजदूत बौशुआन गेर ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए अपनी सहमति दी है। साथ ही माननीय न्यायमूर्ति श्री आदर्श कुमार गोयल, चेयरमैन, राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली एवं डॉ0 राजीव कुमार, उपाध्यक्ष, नीति आयोग भी सम्मेलन में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा कि भारत की अन्य प्रमुख हस्तियां एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में सक्रिय रूप से काम कर रहे भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय आदि के विभिन्न विशेषज्ञ इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रतिभाग करेंगे तथा अपने विचार व्यक्त करेंगे। उन्होंने कहा कि विश्व स्तरीय प्रबंधन परामर्शी कंपनी आर्थर डी लिटिल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, इंडो-अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, इंडो-जर्मन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, टेरी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, स्विस डेवलपमेंट कापरेशन, विश्व बैंक, नाबार्ड, बैंकर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल डेवलपमेंट तथा बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन इस सम्मेलन के तकनीकी/ज्ञान/आउटरीच पार्टनर हैं।
अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह ने बताया कि आयोजित होने वालें कानक्लेव में पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए आगामी 10 वर्षों के लक्ष्य निर्धारित किये जायेंगे। इसमें एक सेशन मीडिया का भी होगा। कॉनक्लेव में ताइवान, जर्मनी तथा अमेरिका का डेलीगेशन भी शामिल होने आ रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति सभी लोगों को अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी इस अभियान को सफल बनाया जा सकेगा।
लोगो अनावरण के दौरान पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के, सचिव, सुनील पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, पवन शर्मा, मुकेश कुमार, पंकज मिश्र, सुनील चौधरी सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अजय कुमार शर्मा, मनीष मित्तल, आर.के. सिंह एवं जीआईजेड के मानस द्विवेदी, रोहित, पंकज आर्या, आर्थर डी लिटिल के स्टेट हेड एवं इंडो अमेरिकन चैम्बर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन, लखनऊ चैप्टर एवं एक्जीक्यूटिव काउंसिल मेम्बर मुकेश सिंह, पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के रेजिडेंट डायरेक्टर अतुल श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।