नई दिल्ली (मानवी मीडिया): संसद का मानसून सत्र 19 जुलाई यानी कल से शुरू होने जा रहा है। इससे पहले सरकार ने आज कहा कि वह नियम-प्रक्रिया के दायरे में हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है जबकि विपक्षी दलों ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती महँगाई के साथ कई अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए रणनीति तैयार की है।
संसदीय सौध में ढाई घंटे से अधिक समय तक चली सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आश्वासन दिया कि सरकार सत्र के दौरान सभी मुद्दों पर सार्थक चर्चा के लिए तैयार है। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि प्रधानमंत्री ने सार्थक और स्वस्थ चर्चा की उम्मीद जताई और कहा कि चर्चा शांतिपूर्ण एवं नियमों के अंतर्गत होनी चाहिए। सदस्य लोकतंत्र की परंपरा को ध्यान में रखते हुए जो मुद्दे उठाना चाहते हैं, सरकार नियम प्रक्रिया से सभी पर चर्चा कराने के लिए तैयार है
जोशी ने कहा कि 33 दलों के 40 से अधिक नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया तथा विभिन्न विषयों पर चर्चा के सुझाव दिये। प्रधानमंत्री ने कहा कि जनप्रतिनिधियों, खासकर विपक्षी सांसदों के सुझाव महत्वपूर्ण हाेते हैं क्योंकि वे ज़मीन से आते हैं। उन्होंने कहा कि इन सुझावों को चर्चा में शामिल करने से बहस समृद्ध होती है।
सर्वदलीय बैठक के समाप्त होने के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में विपक्षी नेताओं ने एक अलग कक्ष में अपनी रणनीति को लेकर बैठक की। सूत्रों के अनुसार किसानों के आंदोलन, महँगाई, बेराेजगारी, पेट्रोल-डीजल के दाम और कोरोना महामारी के संकट को लेकर विपक्ष के तेवर कड़े हैं और शुरुआत में दोनों सदनों में गतिरोध देखा जा सकता है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी विभिन्न पार्टियों के सदन में नेताओं के साथ एक अलग बैठक की। उन्होंने कहा कि वह नियमों के तहत सरकार एवं विपक्षी दलों के बीच सहमति से किसी भी मुद्दे पर चर्चा कराने का पर्याप्त अवसर एवं समय देंगे। यहाँ संसद के पुस्तकालय भवन में हुई बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और विभिन्न दलों के नेता उपस्थित थे।
करीब डेढ़ घंटे तक चली बैठक के बाद बिरला ने संवाददाताओं से कहा कि मानसून सत्र की कार्यवाही कोविड प्रोटोकाेल एवं स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से कराई जायेगी। सभी दलों के नेताओं से चर्चा हुई है, विभिन्न मुद्दों को उठाने की माँग की गयी है।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी कोशिश होगी कि विपक्ष एवं सरकार के बीच परस्पर सहमति से सार्थक चर्चा हाे। सदस्यों को उसमें भाग लेने का पर्याप्त मौका मिले। इसी तरह से उन्हें विधायी कार्यवाही में पर्याप्त समय एवं अवसर मिले। जिस प्रकार से पिछले सत्र उत्पादकता के मामले में उपयोगी रहे हैं, उसी प्रकार से यह सत्र भी उत्पादक हो तथा सदस्यों को जनहित एवं राष्ट्रहित के मुद्दे उठाने का अधिक से अधिक अवसर मिले। बैठक में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय, बसपा के ऋतेश पांडेय, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ई.टी. मोहम्मद बशीर, लोकजनशक्ति पार्टी के पशुपति कुमार पारस, अपना दल की अनुप्रिया पटेल आदि शामिल थे।
सर्वदलीय बैठक के बाद जोशी ने कहा कि 23 नये विधेयक पेश किये जाएंगे, छह अध्यादेशों के स्थान पर विधेयक आएंगे और दो वित्तीय संकल्प पारित कराने हैं। इस प्रकार से 31 विधेयक पारित कराने का प्रस्ताव है। इनमें वर्ष 2021-22 के लिए अनुपूरक अनुदान मांगों एवं तत्संबंधी विनियोग विधेयक तथा वर्ष 2017-18 अतिरिक्त अनुदान मांगों एवं तत्संबंधी विनियोग विधेयक, ये दो वित्तीय संकल्प हैं।
छह अध्यादेशों के स्थान पर लाये जाने वाले विधेयकों में अधिकरण सुधार (सुव्यवस्थीकरण एवं सेवाशर्त) विधेयक 2021, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक 2021, आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक 2021, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एवं आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन विधेयक 2021, भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2021 तथा होम्योपैथी केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक 2021 शामिल हैं।
अन्य विधेयकों में डीएनए टेक्नोलॉजी विधेयक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, कोल बियरिंग एरिया विधेयक, चार्टर्ड अकाउंटेंट विधेयक, लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप, कंटेनटमेंट विधेयक, सेंट्रल यूनिवर्सिटी विधेयक, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट विधेयक, विद्युत संशोधन विधेयक, केन्द्रीय विश्वविद्यालय विधेयक 2021, अंतरदेशीय जलयान विधेयक 2021 समेत अन्य कई विधेयक शामिल हैं।
सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के मुद्दों के बारे में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल ने कहा कि उन्होंने 13 माह से जारी किसानों के आंदोलन के मुद्दे को उठाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि आंदोलन में 500 से अधिक किसानों का बलिदान हुआ है। बेनीवाल ने कहा कि उन्होंने सरकार से बड़ा मन रखकर किसानों के मुद्दों पर बात करने और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की अपील की है। इस मुद्दे पर सरकार को अलग समय निर्धारित करके चर्चा करानी चाहिए।
इस सुझाव पर सरकार की ओर से प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर बेनीवाल ने कहा कि सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया और किसानों का नाम तक नहीं लिया। सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने विद्युत संशोधन विधेयक 2021 लाये जाने का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक किसानों के साथ एक धोखा है। सरकार ने किसानों से यह विधेयक नहीं लाने का वादा किया था। सरकार इसके जरिए पूरे देश की बिजली निजी कंपनियों को देकर इसके दाम महंगे करना चाहती है।