लखनऊ (मानवी मीडिया)महामारी ने कई व्यापार क्षेत्रों को क्षति पहुंचाया है, मुख्य रूप से हॉस्पिटैलिटी और रिटेल, जिनमें से कई बंद होने के कगार पर हैं और फिर भी इस संकट के दौरान अपने कर्मचारियों के साथ-साथ समाज का समर्थन करने के लिए अपना काम कर रहे हैं। इसी क्रम में स्टील और लौह उद्योगों भी गंभीर रूप से प्रभावित हुए है जो निरंतर प्रक्रिया उद्योग हैं और हालांकि बड़ी मात्रा में नहीं, लेकिन इन उत्पादों के निर्माण के लिए औद्योगिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है।
केंद्र और राज्य सरकार के आदेशों के अनुरूप, ये निर्माता जो ऑक्सीजन की खरीद कर के अपनी आवश्यक्ति की आपूर्ति कर रहे थे, उन्होंने आगे आकर अपने पास उपलब्ध ऑक्सीजन सिलेंडर को सरेंडर कर दिया था। जिसका उपयोग उनके शुद्धिकरण तरल स्टेनलेस स्टील के संचालन के लिए किया जाता है| नतीजतन, पिछले एक महीने से भी अधिक समय से उन्हें अपना परिचालन बंद करना पड़ा है, जिसकी वजह से उनके लिए अपने कर्मचारियों को बनाए रखना मुश्किल हो गया है, जिनमें से कई प्रवासी श्रमिक हैं। लेकिन अब जबकि केंद्र और राज्य सरकारों के प्रयासों के कारण ताजा मामलों की संख्या में काफी गिरावट आई है, अपने नवीनतम आदेश के माध्यम से गृह मंत्रालय और डीपीआईआईटी कुछ निश्चित फेरो मिश्र धातु निर्माण इकाइयों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की अनुमति दी है| इसी परिपेक्ष में सीआईआई ने उद्योग को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर प्रतिबंध हटाने के लिए इस्पात मंत्रालय से निवेदन की है।
इस विषय पर बोलते हुए, सी.पी. गुप्ता, अध्यक्ष, सीआईआई
उत्तर प्रदेश ने टिप्पणी की, "हमें उद्योगों से कई अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं, विशेषकर स्टेनलेस स्टील के निर्यातक एवं निर्माताओं की ओर से जो तरल स्टेनलेस स्टील को शुद्ध करने के लिए ऑक्सीजन का उपयोग करते हैं और उनके पास खुद का ऑक्सीजन प्लांट नहीं है| उनका बिजली कनेक्शन भी 8-12 मेगावाट के बीच है इसलिए वे बिजली के भारी फिक्स चार्ज वहन कर रहे हैं। ये निर्माता हजारों लोगों को रोजगार देते हैं और वर्तमान में भारी नुकसान उठा रहे हैं तथा बंद होने के कगार पर हैं। ”