अप्रैल में 75 लाख यानि करीब एक करोड़ लोग बेरोजगार-अजय कुमार लल्लू
कोरोना की दूसरी लहर ने भारत को बनाया कंगाल-अजय कुमार लल्लू
कौन लेगा इसकी जिम्मेदारी - बीजेपी, मोदी सरकार या फिर इसका ठीकरा भी अदृश्य वायरस के सिर फोड़ेंगे - अजय कुमार लल्लू
कोरोना से कम खतरनाक नहीं है बेरोजगारी का वायरस - अजय कुमार लल्लू
बीजेपी सरकार मानो राहुल गांधी की सलाह- अजय कुमार लल्लू
तत्काल प्रभाव से कमजोर और गरीब के खाते में 6000 का कैश ट्रांसफर कर “न्याय” दे सरकार- अजय कुमार लल्लू
लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कोरोना महामारी में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि यह वक्त भारत के इतिहास में अब तक का शायद सबसे बुरा वक्त है। हम सब को साथ एक जुट होकर इस महामारी का मुकाबला करना है। लेकिन यह महामारी इतना विकराल रूप क्यों ले सकी और क्यों इसका असर इतना भयानक हुआ इस पर भी सोचने की जरूरत है। न केवल लोगों की जान जा रही है बल्कि जो जिंदा भी बच रहे हैं उनका जीवन भी बेहद संकट में बीतने वाला है।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की ताजा रिपोर्ट का हवाला देते हुए लल्लू ने कहा कि अप्रैल माह में देश में बेरोजगारी दर 8 फीसदी रहने की संभावना है। इन आंकड़ों के मुताबिक मात्र अप्रैल महीने में ही देश में 75 लाख लोगों ने अपने रोजगार से हाथ धोया है और यह अचानक नहीं हुआ है। मार्च में मार्च में बेरोजगारी 7.8 प्रतिशत और फरवरी में 6.7 प्रतिशत थी. मतलब यह कि बीजेपी सरकार के नाकारपन की वजह से लोग पहले से ही बेरोजगारी की तरफ धकेल दिए जा रहे।
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि मैं नकारापन की बात इसलिए कर रहा हूं क्योंकि अगर समय रहते महामारी से निपटने की तैयारी की गई होती तो ये हालात नहीं बनते।
2020 के लॉकडाउन का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि पिछले साल मोदी सरकार द्वारा बिना योजना के लगाए गए लॉकडाउन ने करोड़ों को बेरोजगार कर दिया था। तब बेरोजगारी ने भारत में 45 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। सरकार को चेताते हुए अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अभी भी वक्त नहीं बीता है ऐ सरकार को राहुल गांधी की सलाह मान लेनी चाहिए। तुरंत कमजोर या गरीबों के खातों में 6000 रुपए कैश ट्रांसफर कर, बीजेपी सरकार को इस वक्त देश की जनता के साथ “न्याय” करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी लंबे समय से यह मांग करती रही है। उन्होने कहा कि कि बीजेपी सरकार ने कांग्रेस की, राहुल गांधी की इस सलाह को मान लिया होता तो यह नौबत नहीं आती। तब हमें सिर्फ कोरोना महामारी से लड़ना होता, बेरोजगारी की माहामारी से नहीं।