नई दिल्ली (मानवी मीडिया): कोरोना के बढ़ते मामलों में वैक्सीन की हो रही कमी के बीच एक सवाल सबके मन में आ रहा है कि क्या खास कंपनी की वैक्सीन की पहली डोज लेने के बाद दूसरी डोज अन्य कंपनी की लगवा सकते हैं। हेल्थ एक्सपर्टों का कहना है कि ऐसा करना बिल्कुल गलत होगा। दोनों वैक्सीन अलग-अलग फार्मूले पर बनी हैं और उनका सॉल्ट भी अलग-अलग है। ऐसे में दूसरी डोज भी उसी कंपनी की लगवानी चाहिए, जिसकी पहली डोज लगी हो।
ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है। हालांकि साइड इफेक्ट्स जरूर बढ़ सकते हैं। अभी इस बारे में कुछ साफ नहीं है कि वैक्सीन का कॉकटेल कोविड-19 के खिलाफ कितनी इम्युनिटी देता है। 'द लैंसेट' में छपी रिसर्च के मुताबिक, रिसर्चर्स ने पहले लोगों को अस्त्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) की डोज दी और उसके चार हफ्ते बाद फाइजर की वैक्सीन की।नतीजा ये हुआ कि मिक्स्ड डोज लेने वालों में साइड इफेक्ट्स ज्यादा नजर आए, मगर परेशानी जल्द ही दूर हो गई। ठंड लगना, बुखार आना, सिरदर्द और थकान जैसे साइड इफेक्ट्स देखने को मिले। यह रिसर्च 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर की गई थी। कुछ पार्टिसिपेंट्स में वैक्सीन का क्रम बदलकर भी देखा गया। मतलब उन्हें पहले फाइजर की वैक्सीन दी गई, फिर अस्त्राजेनेका वैक्सीन की डोज। नतीजों में कोई बदलाव नहीं दिखा। फिलहाल स्टडी चल रही है। भारत में वैक्सीन मिक्सिंग का मामला समाने आया है। यहां महाराष्ट्र के जालना जिले में एक बुजुर्ग को पहले कोवैक्सीन की डोज दी गई, उसके बाद कोविशील्ड की। यानी पहली डोज किसी और वैक्सीन की लगी और दूसरी किसी और की। नियम के मुताबिक उन्हें दूसरी डोज भी इसी कंपनी की लगाई जानी चाहिए थी लेकिन गलती से उन्हें दूसरी डोज कोविशील्ड की लगा दी गई। जानकारी के अनुसार, वैक्सीन के इस मिक्स अप का उनपर अभी तक कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला है।