नई दिल्ली (मानवी मीडिया): सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि देश भर में कोविड मैनेजमेंट से जुड़े मामलो की सुनवाई कर रहे हाई कोर्ट्स को ऐसे नीतिगत मामले में सुनवाई से बचना चाहिए जिसके राष्ट्रीय/ अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव हो, क्योकि ऐसे मसलो पर सुप्रीम कोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को अपने आदेश का व्यवहारिक पक्ष भी देखना होगा। ऐसे आदेश देने से बचे जिस पर अमल सम्भव ही ना हो। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के आग्रह पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें कोर्ट ने राज्य में मौजूद हर गांव को ICU सुविधा वाली दो एम्बुलेंस उपलब्ध कराने को कहा था।कोर्ट ने कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रहेगी। शीर्ष अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 14 जुलाई को करेगी।उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि कोरोना से संबंधित मामलों की सुनवाई हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की बेंच ही करे। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करने से इनकार किया और कहा कि हमें हाईकोर्ट हतोत्साहित नहीं कर सकते। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से गांव की चिकित्सा सुविधा ‘राम भरोस’ होने जैसी टिप्पणी पर कहा था कि इस तरह की टिप्पणी से डॉक्टर और पैरामेडिकल कर्मचारी, जो लगातार काम कर रहे हैं वह हताश होते है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि इन दिशा निर्देशों को नौकरशाही के स्तर पर असर होता है, सभी मुख्य न्यायाधीश की बेंच को ही कोविड से संबंधित मुद्दों को सुनवाई के लिए लेना चाहिए और देश के हाईकोर्ट को इस तरह के मुद्दे उठाने चाहिए, लेकिन केवल मुख्य न्यायाधीश ही इसकी सुनवाई करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम सभी हाई कोर्ट को लेकर फैसला नहीं देंगे, आपके मुद्दे पर फैसला देंगे