लखनऊ (मानवी मीडिया)उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक बीके यादव के खिलाफ CBI ने प्रारंभिक जांच दर्ज की है। यादव पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में ठोस सुबूत मिलने के बाद CBI उनके खिलाफ केस दर्ज कर सकती है।
बीके यादव 18 दिसंबर, 2013 से 23 मई, 2017 तक उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ लिमिटेड में तैनात थे। आरोप है कि उन्होंने चीनी मिलों और उनके संघों में नियुक्तियों, पदोन्नतियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग में भ्रष्टाचार किया। उन पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने और विभिन्न अनियमितताओं में लिप्त रहने के आरोप भी लगे थे।
गन्ना एवं चीनी उद्योग मंत्री सुरेश राणा की सिफारिश पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडलायुक्त लखनऊ को यादव के खिलाफ आरोपों की जांच के आदेश दिए थे। जांच में उन पर लगे आरोपों की पुष्टि होने के बाद राज्य सरकार ने नवंबर, 2017 में इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की संस्तुति की थी।
पूर्व प्रबंध निदेशक बीके यादव पर यह भी आरोप है कि उन्होंने संघ के डिप्टी चीफ केमिस्ट चेतन शर्मा के खिलाफ गबन के गंभीर आरोपों तथा चीनी व गुड़ की अवैध बिक्री से संबंधित जांच का भी निपटारा जैसे तैसे कर दिया था। सीबीआइ लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने उनके खिलाफ आरोपों की जांच शुरू कर दी है।
मंडलायुक्त लखनऊ की जांच में बीके यादव के विरुद्ध सहकारी चीनी मिलों और संघ मुख्यालय कार्मिकों के नियम विरुद्ध नियुक्तियां करने के आरोप सही पाए गए। यह भी पाया गया कि पदोन्नतियों व स्थानांतरण में भी धन उगाही की गई। कार्मिकों के उत्पीड़न व सेवानिवृत्ति से जुड़े भुगतान जैसे लीव इन्कैशमेंट व ग्रेज्यूएटी में भी धन उगाही करने के आरोप सही पाए गए। इसके अलावा उनकी जांच रिपोर्ट में डा. यादव के खिलाफ कनिष्ठ अधिकारियो को प्रभारी के रूप में नियुक्त कर उच्च पदों पर कार्यभार देने, कार्य कराने एवं सहकारी चीनी मिलों के विस्तारीकरण, माडिफिकेशन और सामान की खरीद करने में भ्रष्टाचार व रमाला चीनी मिल बागपत में गबन करने के भी आरोप हैं।
बीके यादव के खिलाफ यह भी आरोप है कि उन्होंने चीनी मिलों से अवैध रूप से शीरा और चीनी बेचने के आरोप में उप मुख्य रसायनविद चेतन शर्मा को बिना किसी दंड के निपटा दिया गया। यही नहीं उन्हें पदोन्नति दे दी गई। लिहाजा, मंडलायुक्त ने बीके यादव को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए किसी अन्य निष्पक्ष एजेन्सी से जांच कराने की सिफारिश की गई थी, जिसके फलस्वरूप शासन ने विचार के बाद बीके यादव के विरुद्ध गंभीर अनियमितताओं व आय से अधिक अर्जित करने की जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय किया था।