वाराणसी (मानवी मीडिया): देश के 12 ज्योर्तिलिंगों में एक बाराणसी के काशी विश्वनाथ परिसर में बने ज्ञानवापी मस्जिद का पुरातात्विक सर्वेक्षण कराया जाएगा। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आशुतोष तिवारी ने दो अप्रैल को निर्णय के लिए आठ अप्रैल की तिथि तय कर दी थी। आखिरकार लंबे समय बाद ज्ञानवापी मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील (प्रार्थना पत्र) को कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। कोर्ट ने इसके लिये पांच सदस्यीय कमेटी भी बना दी है। वहीं, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने कहा कि वह फैसले से संतुष्ट नहीं हैं और इसे हाइकोर्ट में चुनौती देंगे।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने के मामले में वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील को कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले के दौरान मंजूर कर लिया है। वहीं इस मुकदमे के मामले में सुनवाई के क्षेत्राधिकार को लेकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने सिविज जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक के कोर्ट में सुनवाई करने के लिए अदातल में क्षेत्राधिकार को चुनौती दी थी। पिछले साल 25 फरवरी को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने इस चुनौती को खारिज कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने जिला जज के यहां निगरानी याचिका दाखिल की थी, जिस पर 12 अप्रैल को सुनवाई होनी है। उधर, इसी मुकदमे की पोषणीयता को लेकर हाइकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से बहस भी पूरी हो चुकी है, इस पर हाइकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष के वकील विजय शंकर रस्तोगी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पुरातात्विक सर्वेक्षण के बाद ये साफ हो जाएगा कि विवादित स्थल कोई मस्जिद नहीं, बल्कि आदि विशेश्वर महादेव का मंदिर है