इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे, नागपुर के बुजुर्ग ने छोड़ा अपना बेड, तीन दिन में मृत्यु - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Wednesday, April 28, 2021

इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे, नागपुर के बुजुर्ग ने छोड़ा अपना बेड, तीन दिन में मृत्यु


नागपुर (मानवी मीडिया) : देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। कोविड-19 की इस दूसरी लहर की भयावह दृश्य देश के हर राज्य से आ रही हैं। इस महारारी के चलते देश के अधिकांश शहरों में ऑक्सीजन से लेकर बेड तक की  दिक्कतदेखने को मिल रही है। इस बीच नागपुर में एक वयोवृद्ध की ओर से मिसाल पेश की गई है। 85 साल के  वयोवृद्ध नारायण भाऊराव दाभाडकर ने यह कहते हुए एक युवक के लिए अपना बेड रिक्त कर दिया कि मैंने अपनी पूरी जीवन जी ली है, लेकिन उस व्यक्ति के पीछे पूरा परिवार है। अस्तपाल का बेड छोड़ने के बाद नारायण राव घर चले गए और तीन दिन में ही दुनिया को अलविदा कह दिया। अब हर कोई इस वाकये को जानने के बाद नारायण राव की तारीफ कर रहा है। आरएसएस के स्वयंसेवक नारायण राव दाभाडकर की इस मानवीयता के बारे में मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्विटर पर लिखा है।उनके अलावा भी हजारों लोगों ने ट्विटर पर दाभाडकर को श्रद्धांजलि दी है। दरअसल नारायण राव दाभाडकर कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल घटकर 60 तक पहुंच गया था। इसके देखते हुए उनके दामाद और बेटी ने उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल में एडमिट कराया गया था। लंबी  परिश्रम के बाद नारायण राव को बेड भी मिल गया था। इस बीच एक महिला रोती हुई आई, जो अपने 40 वर्षीय पति को लेकर अस्पताल लाई थी। महिला की बेड के लिए करुण पुकार सुनकर नारायण राव का मन द्रवित हो उठा और उन्होंने अपना ही बेड देने की  आग्रह कर दी।

नारायण राव दाभाडकर के आग्रह पर अस्पताल प्रशासन ने उनसे कागज पर लिखवाया कि वह दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से अपना बेड खाली कर रहे हैं। दाभाडकर ने यह स्वीकृति पत्र भरा और घर लौट आए। इसके तीन दिन बाद ही उन्होंने संसार को त्याग दिया। मानवता के लिए जीवन समर्पित करने वाले नारायण राव की तारीफ करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने लिखा, 'दूसरे व्यक्ति की प्राण रक्षा करते हुए श्री नारायण जी तीन दिनों में इस संसार से विदा हो गये। समाज और राष्ट्र के सच्चे सेवक ही ऐसा त्याग कर सकते हैं, आपके पवित्र सेवा भाव को प्रणाम!'इसके साथ ही एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' ऐसा कह कर कोरोना पीड़ित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया।

Post Top Ad