एम्स निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना वायरस की मौजूदा स्थिति में जनता में पैनिक है, लोगों ने घर में इंजेक्शन, सिलेंडर रखने शुरू कर दिए हैं जिससे इनकी कमी हो रही है। कोरोना आम संक्रमण है, 85-90 फीसदी लोगों में ये आम बुखार, जुकाम होता है। इसमें ऑक्सीजन, रेमडेसिविर की जरूरत नहीं पड़ती है।
मेदांता हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा कि RT-PCR टेस्ट आते ही आप अपने लोकल डॉ. से संपर्क करें। 90 फीसदी से ज्यादा लोग घर में ही ठीक हो जाएंगे। अलोम-विलोम योगा से लंग्स को बेनिफिट मिलता है। अस्पताल तभी जाना है जब ऑक्सीजन बहुत ज्यादा गिर रही है। मास्किंग, हैंड सेनेटाइजिंग, सोशल डिस्टेंसिंग को विकसित करें। शादियों पार्टियों में न जाएं। गेदरिंग से दूर रहें, जो युवा बाहर से आ रहे हैं वह पहले मास्क को दूर करें और कपड़े चेंज कर फिर अपने घरवालों से मुलाकात करें।
डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस डॉ. सुनील कुमार ने कहा, ‘हम सब आपके सामने आ रहे हैं कि तथ्यों पर ध्यान दें। पैनिक न हों। डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि जो मरीज घर हैं और जिनका ऑक्सीजन सेचुरेशन 94 से ज्यादा है उन्हें रेमडेसिविर की कोई जरूरत नहीं है और अगर आम रेमडेसिविर लेते हैं तो उससे आपको नुकसान ज्यादा हो सकता है, फायदा कम होगा।
मेदांता अस्पताल के चेयमैन डॉ. नरेश त्रेहान ने कहा, ‘हमारे स्टील प्लांट की ऑक्सीजन की बहुत क्षमता है, लेकिन उनको ट्रांसपोर्ट करने के लिए क्रायो टैंक की जरूरत होती है जिसकी तादाद इतनी नहीं थी, लेकिन सरकार ने आयात कर लिए हैं, उम्मीद है कि आने-वाले 5-7 दिन में स्थिति काबू में आ जाएगी।