देहरादून (मानवी मीडिया): उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का एक बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रह है। यह बयान उस समय आया जब रावत बाल अधिकार संरक्षण आयोग की वर्कशॉप को संबोधित कर रहे थे। संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि इसे माता-पिता अपने बच्चों के लिए खराब उदाहरण पेश करते हैं। उन्होंने दावा किया कि इस तरह के व्यवहार से ड्रग के सेवन और शराब पीने के लिए भी प्रेरित करता है। वह एक दिन हवाई जहाज से जयपुर से आ रहा थे। उनके बगल में एक बहनजी बैठी थी। उनकी तरफ देखा नीचे गम बूट थे। जब और ऊपर देखा तो जींस घुटने से फटी हुई थी। 2 बच्चे उनके साथ में थे। महिला एनजीओ चलाती हैं। समाज के बीच में जाती हो। क्या संस्कार दोगे? सीएम ने कहा कि एक बच्चा जिसे घर पर सही संस्कृति सिखाई जाती है, वह चाहे कितना भी आधुनिक हो जाए, जीवन में कभी असफल नहीं होगा।
इस दौरान सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि आजकल युवाओं में नशे की प्रवत्ति बढ़ रही है। बच्चों को इससे बचाने के लिए उन्हें सही संस्कार देने होंगे। पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से बचाना होगा। सीएम ने कहा कि पश्चिमी देश के लोग भारत की संस्कृति की महानता को समझ चुके हैं, वो भारतीय संस्कृति का पालन कर रहे हैं. जबकि हमारेश के युवा पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। रावत यही नहीं रुके, उन्होंने कहा कि कैंची से संस्कार, नंगे घुटने दिखाना, फटी डेनिम पहनना और अमीर बच्चों की तरह दिखना, अब ये संस्कार दिए जा रहे हैं। यह कहां से आ रहा है, अगर घर पर नहीं है? शिक्षकों या स्कूलों का क्या दोष है? मैं अपने बेटे को कहां ले जा रहा हूं, अपने घुटनों को दिखाते हुए और फटी जीन्स में? लड़कियां किसी से कम नहीं, अपने घुटने दिखा रही हैं। क्या यह अच्छा है? यह सब, पश्चिमीकरण की एक पागल रेस है। इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से कर दी थी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से द्वापर और त्रेता युग में भगवान राम व कृष्ण को लोग उनके कामों की वजह से भगवान मानने लगे थे उसी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आने वाले समय में भगवान राम और कृष्ण की तरह मानने लगेंगे।