सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर का चौथा दीक्षांत सम्पन्न
विद्यार्थी अपने और अपने राष्ट्र के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव लायें
लखनऊः (मानवी मीडिया)
‘गुरु
से दीक्षा लेने के पश्चात् उसे गुरु-दक्षिणा देने का नियम भारतीय परम्परा
में है। मैं विद्यार्थियों से गुरु दक्षिणा के रूप में एक संकल्प चाहती हूँ
कि अपनी कम-से-कम एक उस बुराई को छोड़ने का प्रण लें जो समाज, प्रदेश,
राष्ट्र और सम्पूर्ण सृष्टि के लिये हानिकारक हो। इसके साथ ही विद्यार्थी
पारदर्शी, श्रेष्ठ वातावरण और व्यवस्था का निर्माण करने में भी सहयोग
करेंगे।’ ये विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती
आनंदीबेन पटेल ने आज सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर के
चौथे दीक्षांत समारोह में व्यक्त किये। इस अवसर पर राज्यपाल ने 34 मधावी
छात्र-छात्राओं को पदक प्रदान किये, जिसमें 24 छात्राएं तथा 10 छात्र थे।राज्यपाल ने उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि वे जीवन में खूब सफल हों, अपनी मंजिलों तक पहुँचें और एक श्रेष्ठ नागरिक के दायित्वों का निर्वाह करते हुए देश और प्रदेश के विकास में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में गुरूओं द्वारा दिये गये ज्ञान, व्यवहार एवं अच्छी बातों की छाप हर जगह दिखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के समक्ष चुनौतियाँ कम नहीं हैं। समस्याओं के समाधान एवं चुनौतियों से निपटने के लिये विद्यार्थियों को बुद्ध बनना पड़ेगा। सिद्धार्थ की तरह सचेत होकर आगे बढ़ना पड़ेगा। तभी हम अपने और अपने राष्ट्र के जीवन में क्रान्तिकारी बदलाव ला सकते हैं और विश्व में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ा सकते हैं।
कुलाधिपति ने नई शिक्षा नीति का उल्लेख करते हुए कहा कि एक लम्बे समय से भारतीय शिक्षा नीति में बड़े बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसी को दृष्टिगत रखते हुए केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लायी गयी है। विश्वविद्यालय इस नीति के उद्देश्यों को समझें और इसके सफल क्रियान्वयन में योगदान दें। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार नई शिक्षा नीति को यथाशीघ्र क्रियान्वित करने के लिये संकल्पबद्ध और पूरी तत्परता से सक्रिय है। इस अवसर पर राज्यपाल ने स्कूली बच्चों को बैग एवं पठन-पाठन की सामग्री वितरित की।
मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डा0 दिनेश शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की उच्च शिक्षा को नया स्वरूप प्रदान कर रही है, जिससे आने वाले समय में नई शिक्षा नीति के प्राविधानों के क्रियान्वयन से उच्च शिक्षा का ढांचा ही बदल जाएगा। उन्होंने कहा कि शोध व नवाचार नई शिक्षा नीति की आत्मा की तरह है। शिक्षा को रोजगार परक बनाने के लिये औद्योगिक प्रतिष्ठानों के साथ तालमेल पर जोर दिया जा रहा है।
इस अवसर पर बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 सतीश द्विवेदी, कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र दुबे, कार्य परिषद एवं विद्या परिषद के सदस्यगण, विश्वविद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी एवं शिक्षकों सहित विद्यार्थी उपस्थित थे।