4 साल चौपट हुआ हाल कांग्रेस अध्यक्ष::अजय लल्लू - मानवी मीडिया

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Friday, March 19, 2021

4 साल चौपट हुआ हाल कांग्रेस अध्यक्ष::अजय लल्लू


 लखनऊ (मानवी मीडिया )उ0प्र0कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज योगी सरकार के चार वर्ष पूरे होने पर जनता की तरफ से रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करते हुए कहा कि - 4 साल-चैपट हुआ हाल।

किसान

हमारा यह प्रदेश किसान प्रदेश के रूप में अपनी पहचान रखता है किन्तु आलम यह है कि एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिदिन 28 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जिसके अनुसार 2019 से अब तक 5464 किसानों ने उ0प्र0 में आत्महत्या की है। जिसमें सबसे ज्यादा आत्महत्या बुन्देलखण्ड में हुई है। सरकारी रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक वर्ष में प्रत्येक किसान की आय में 17 प्रतिशत की कमी आई है। प्रत्येक किसान पर एक लाख रूपये का कर्ज बढ़ा है।

हमारे ही प्रदेश में सबसे अधिक 8447 करोड़ रूपये गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर भुगतान बकाया है जो देश में सर्वाधिक है। 2016-17 के मुकाबले जबसे योगी सरकार सत्ता में आयी है गन्ना मूल्य का न्यूनतम समर्थन मूल्य न के बराबर बढ़ी है।

फसल बीमा में प्रदेश में बीमित किसानों में प्राकृतिक आपदा और अन्य दुश्वारियां होने के बावजूद सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया कि 10 प्रतिशत किसानों को भी फसल बीमा का लाभ नहीं मिल पाया है।

युवा, रोजगार और बढ़ती बेरोजगारी

भारत सरकार के आंकड़ें के अनुसार पिछले 45 वर्षों में बेरोजगारी दर बढ़कर 9.97 प्रतिशत हो गयी है।


भाजपा ने अपने लोकसंकल्प पत्र में 70 लाख रोजगार देने का वादा किया था किन्तु चार वर्ष के बाद सरकार 4 लाख रोजगार देने का झूठा वादा कर रही है। उ0प्र0 में बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है लाखों युवा प्रति वर्ष बेरोजगार हो रहे हैं। रोजगार उपलब्ध कराने वाला एमएसएमई सेक्टर बदहाली के हालात में है। हजारों एमएसएमई बन्द हो चुके हैं। सरकार एमएसएमई सेक्टर को प्रत्यक्ष सब्सिडी देने के बजाए पहले से ही कर्ज में डूबे होने के बावजूद कर्ज का लालीपाप दे रही है। प्रदेश के सरकारी विभागों में 5 लाख से अधिक पद रिक्त हैं। प्रदेश में

प्रदेश में हर रोज 3 बेरोजगार आत्महत्या करने को विवश हैं।

शिक्षा बदहाल

चार साल-शिक्षा बदहाल। उ0प्र0 में शिक्षा का स्तर लगातार बदतर होता जा रहा है। अभिभावक प्राइवेट संस्थानों में मंहगी शिक्षा के लिए विवश हैं। सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों की कमी लगातार बनी हुई है और शिक्षकों की भर्ती के तमाम उपाय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। कोरोनाकाल के चलते खराब अर्थव्यवस्था और आर्थिक दुश्वारियांे का आलम यह है कि लगभग 65 प्रतिशत से अधिक लोग अपने बच्चों की फीस नहीं जमा कर पा रहे हैं। वहीं तीन लाख साठ हजार से अधिक वित्तविहीन शिक्षक वेतन के अभाव में दाने-दाने को मोहताज हैं।

सर्वशिक्षा अभियान के अन्तर्गत बच्चों को दिये जाने वाले मिड डे मील, किताबें, स्वेटर, जूते, मोजे, ड्रेस योगी सरकार के चार साल के कार्यकाल में कभी भी समय से नहीं मिल पाये। इसकी शिकायतें खुद सरकार ने स्वीकार की और लगातार इनमें घोटालों की चर्चा समाचारपत्रों की सुर्खियां बनती रहीं और मीडियाकर्मियों द्वारा दिखाई गयी रिपोर्ट -जिसमें मिर्जापुर में बच्चों को नमक-रोटी परोसने, सोनभद्र में एक लीटर दूध में 80 बच्चों को पानी मिलाकर बांटने की रिपोर्ट तथा कानपुर में भीषण ठण्ड में नौनिहालों के कपड़े उतरवाकर जबरिया योगा कराये जाने की खबर प्रकाशित होने पर पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराकर जेल भेज दिया गया। मिड डे मील में कीड़े निकलने व गंदगी की शिकायतें आम बनी रहीं।

अपराध एवं महिलाओं पर अत्याचार

अपराध के मामले में महिला अपराध में लखनऊ देश के तीसरे नम्बर पर और प्रदेश में पहले स्थान पर है। वहीं देश के टाप 30 शहरों में उ0प्र0 के 5 शहर शामिल हैं जिसमें राजधानी लखनऊ नम्बर एक पर है। दो नम्बर पर प्रयागराज, तीन नम्बर पर आगरा, चार नम्बर पर कानपुर और पांच नम्बर पर अलीगढ़ है।

बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं का नारा गढ़ने वाली तथा एण्टी रोमियो और मिशन शक्ति अभियान का ढोंग करने वाली भाजपा सरकार में लगातार महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटनाओं ने लगातार प्रदेश को शर्मशार किया है। चाहे वह उन्नाव, शाहजहांपुर, हाथरस, लखीमपुर, बदायूं, बलरामपुर, भदोही, बुलन्दशहर, आजमगढ़, कुशीनगर, कानपुर, गोरखपुर, लखनऊ सहित प्रदेश के लगभग सभी जनपद महिलाओं की आह से पूरे चार वर्ष तक कराहते रहे और प्रदेश की महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करते रहे। सरकार का रवैया दोषियों को सजा देने के बजाय उनको संरक्षण देने का रहा है।

विकास दर

विधान परिषद में सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले 2018-19 के मुकाबले जो प्रदेश की विकास दर 6.3प्रतिशत थी वह अब घटकर मात्र 3.8 प्रतिशत हो गई है।

ऽ चार साल, उद्योग का बुरा हाल

लोकसभा में सरकार द्वारा दिये गये आंकड़े के अनुसार 68 हजार उद्योग बन्द हुए हैं जिसमें 10 प्रतिशत अकेले उ0प्र0 से हैं।

चमड़ा, प्लास्टिक, कपड़ा, आईटी, कालीन, बुनकरी, जरदोजी, पीतल, चूड़ी आदि उद्योग योगी सरकार की गलत नीतियों के चलते बर्बाद हो गए। लखनऊ का चिकन, जरी बर्बाद होने की कगार पर है। कानपुर के होजरी उद्योग से 3 हजार लोगों की छुट्टी हो गई। वहीं कानपुर की 56 लोहे(स्टील) की इण्डस्ट्री में से मात्र 3 चालू हालत में बची है। उ0प्र0 के मेरठ, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा, बुलन्दशहर, खुर्जा, बनारस, मिर्जापुर जैसे औद्योगिक केन्द्रों के कारीगरों की हालत सबसे खराब है।


ईज आफ डूंइंग बिजनेस

नवम्बर 2019 तक योगी सरकार ईज आफ डूइंग बिजनेस में उ0प्र0 को 12 वें स्थान पर बताती रही जबकि अब दूसरे नम्बर पर बता रही है।

स्वास्थ्य

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार नवजात शिशुओं की मृत्यु दर में उत्तर प्रदेश आज भी देश में पहले स्थान पर है जो कि चिन्ता का विषय है। उ0प्र0 में 19962 मरीजों पर मात्र एक चिकित्सक है। वहीं कुपोषण के मामले निरन्तर बढ़ रहे हैं। नीति आयोग के अनुसार स्वास्थ्य सेवाएं उ0प्र0 में सबसे निचले स्तर पर हैं प्रदेश में 5 हजार से अधिक डाक्टरों के पद रिक्त हैं। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर का बेहद अभाव है। मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र गोरखपुर में आक्सीजन की कमी से सैंकड़ों बच्चों की मौत हुई। रोज प्रदेश के तमाम स्वास्थ्य संस्थानों में आईसीयू, वेंटीलेटर एवं बेड की कमी से सैंकड़ों लोगों की मौतें आम हो गयी हैं। मेडिकल कार्पोरेशन द्वारा हृदय रोगियों की दवा खरीद में सैंकड़ों करोड़ का घोटाला प्रकाश में आया। इसके अतिरिक्त उ0प्र0 मेडिकल सप्लाई लगातार भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता रहा है। नकली इक्विपमेंट, नकली दवाइयां एवं गुणवत्ता विहीन चिकित्सीय उपकरण की खरीद के मामले योगी सरकार में बराबर सामने आती रहीं।  

        चार साल-भ्रष्टाचार की सरकार

भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेन्स की बात करने वाली योगी सरकार ने चार साल तक प्रदेश को लगातार घोटालों की सरकार में तब्दील कर दिया। बिजली विभाग का डीएसएफएल घोटाला, स्मार्ट मीटर घोटाला, एलडीए घोटाला, पंचायतीराज ग्रान्ट घोटाला, जूता-मोजा घोटाला, होमगार्ड वेतन घोटाला, पशुपालन विभाग घोटाला- (नमक घोटाला, चारा घोटाला), पीपीई किट घोटाला, 69 हजार शिक्षक घोटाला, लोकसेवा आयोग 2018 का पेपर लीक घेाटाला, छात्रवृत्ति घोटाला, यूरिया घोटाला, फसल बीमा घोटाला सहित सैंकड़ों घोटाले योगी सरकार के चार साल के कार्यकाल में सामने आ चुके हैं।

मंहगाई

जबसे भाजपा आई है-कमरतोड़ मंहगाई है। सरकार द्वारा घोषित पिछले सप्ताह जारी आंकड़े के अनुसार इस समय थोक मंहगाई सूचकांक 4.7 है जो 27 महीने का सबसे बुरा दौर है। मंहगाई का आलम यह है कि आम आदमी की जरूरत का कोई भी सामान जनता की पहुंच से बाहर हो चुका है चाहे लगातार रसोई गैस की बढ़ रही कीमतों के कारण(जो अब लगभग 900 रूपये प्रति सिलेण्डर) आम आदमी की पहुंच से बाहर होता जा रहा है वहीं पेट्रोल और डीजल आजादी के बाद ऐतिहासिक ऊंचाई पर 100 रूपये प्रति लीटर पहुंचने वाला है। वहीं खाद्य पदार्थ एवं आवश्यक वस्तुओं की कीमत आसमान छू रही है। चाहे वह खाद्य तेल हो, दाल, अनाज, सब्जियां या फल। विद्युत मूल्य देश के मुकाबले उ0प्र0 में सबसे ज्यादा है चाहे वह सिंचाई के लिए उपयोग में आने वाले पम्प हों या औद्योगिक विकास या घरेलू बिजली हो। इतने मंहगे दर पर विद्युत बिल का भुगतान करना आम आदमी के लिए बहुत कठिनाईपूर्ण है।

प्रेसवार्ता को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री अजय कुमार लल्लू , कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता  आराधना मिश्रा मोना एवं कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने सम्बोधित किया। पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी  भी मौजूद रहे।

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