जयपुर (मानवी मीडिया): राजस्थान के बाड़मेर जिले में दो परिवारों के लिए 8 मार्च को महिला दिवस का दिन खासा स्पेशल रहा। दरअसल उनके लिए शादी के 2 साल बाद उनकी बहुएं पाकिस्तान से भारत आईं। बता दें कि साल 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले और फिर उसके भारत द्वारा पाकिस्तान में की गई एयरस्ट्राइक की वजह से दोनों देशों के संबंधों में काफी कड़वाहट आ गई जिसका खमियाजा इन दुल्हनों के भुगतना पड़ा था।यहां हम आपको बता रहे हैं कि इन दुल्हनों को अपने ससुराल आने में पूरे दो साल क्यों लग गए। दरअसल बाड़मेर जिले के रहने वाले महेंद्र सिंह की अप्रैल 2019 में पाकिस्तान के अमरकोट प्रांत के सिणोई गांव में शादी हुई थी। वहीं जैसलमेर जिले के नेपाल सिंह की शादी भी इसी साल जनवरी माह में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हुई थी। दोनों दूल्हे थार एक्सप्रेस से बारात लेकर पाकिस्तान पहुंचे थे। शादी के सभी रीति-रिवाज करने के बाद दोनों दूल्हे अपनी दुल्हनों को लाने की तैयारी में थे। लेकिन उसी समय अचानक पुलवामा हमले और एयरस्ट्राइक के बाद दोनों देशों में तनाव की स्थिति बन गई। इसके चलते दोनों युवकों को अपनी दुल्हनों को वहीं छोड़कर लौटना पड़। फिर साल 2020 में कोरोना महामारी ने ऐसा कहर बरपाया कि लोगों के सफर करने पर प्रतिबंध लग गया।
हालांकि सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले एक अन्य युवक विक्रम सिंह की पत्नी को अभी तक वीजा नही मिला है. उनके दूध पीते बच्चे राजवीर सिंह को वीजा मिलने के बाद वह अपनी नानी के साथ भारत पहुंचा है.अब हालात सुधरने के बाद महेंद्र सिंह की पत्नी छगन कंवर और नेपाल सिंह की पत्नी कैलाश बाई कुछ पारिवार के लोगों के साथ सोमवार को वाघा-अटारी सीमा से होकर भारत पहुंची। दोनों के पतियों ने सीमा पर उनका स्वागत किया।सीमा पार करने के बाद दुल्हनों को सुरक्षा जांच और कोविड -19 टेस्ट से गुजरना पड़ा। नेपाल की पत्नी कैलाश अपनी मां और भाई के साथ भारत आईं जबकि महेंद्र की पत्नी छगन कंवर अपने पिता के साथ पहुंची। नेपाल सिंह ने मीडिया को बताया कि वह अपनी पत्नी से मिलकर बहुत खुश हैं, लेकिन साथ ही साथ अपने छोटे भाई की पत्नी को वीजा नहीं मिलने के कारण परेशान भी हैं।नेपाल ने कहा- मैं केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी का शुक्रगुजार हूं जिन्होंने हर स्तर पर हमारी मदद की और मेरी पत्नी को वीजा दिलाने में पूरा सहयोग दिया। उन्होंने आगे कहा कि शुरू में उनकी पत्नी को केवल हवाई मार्ग के माध्यम से प्रवेश की अनुमति थी, लेकिन चूंकि हम हवाई यात्रा का खर्च नहीं उठा सकते थे, तो केंद्रीय मंत्री ने उन्हें वाघा-अटारी सड़क मार्ग के माध्यम से घर जाने की अनुमति प्राप्त करने में फिर से मदद की। अधिकारियों ने कहा कि उनके भाई विक्रम सिंह की पत्नी निर्मला बाई को इस आधार पर वीजा से वंचित रखा गया क्योंकि उनका पासपोर्ट ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।