अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, उ0प्र0पर्यटन विभाग, के सहयोग से ‘शान्ति और सद्भाव पर भगवान बुद्ध का वैश्विक संदेश गोष्ठी - मानवी मीडिया

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Sunday, March 21, 2021

अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, उ0प्र0पर्यटन विभाग, के सहयोग से ‘शान्ति और सद्भाव पर भगवान बुद्ध का वैश्विक संदेश गोष्ठी

 


लखनऊ (मानवी मीडिया)अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान, लखनऊ द्वारा पर्यटन विभाग, उ0प्र0 के सहयोग से ‘शान्ति और सद्भाव पर भगवान बुद्ध का वैश्विक संदेश‘ विषय पर दिनांक 20-22 मार्च, 2021 तक संस्थान के प्रेक्षागृह में आयोजित तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय बुद्धिस्ट कान्क्लेव के दूसरे दिन आज 21 मार्च, को कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रातः 10.00 बजे से बुद्ध प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलन तथा बुद्ध वन्दना के साथ हुआ। आज के कान्क्लेव में चार सत्रों में आनलाइन तथा आफलाइन माध्यम से लगभग 30 से अधिक शोध पत्र विद्वतजनों द्वारा पढ़े गये जो विश्व शान्ति और सद्भाव की स्थापना में बौद्ध साहित्य की भूमिका, विश्व शान्ति और सद्भाव के लिए बौद्ध धर्म और बौद्ध दर्शन की भूमिका, सामाजिक सक्रिय बौद्धधर्म (सोशल एन्गेज्ड बुद्धिज्म) तथा शान्ति और सद्भाव की दिशा में इसकी भूमिका, विश्वव्यापी बौद्ध शान्ति-दूतों का योगदान, विश्व शान्ति की स्थापना में बौद्ध आचार और संस्कृति की भूमिका, बौद्ध स्थापत्य और कला में शान्ति और सद्भाव की अवधारणा, विपस्सना और ध्यान-पद्धतियों के द्वारा शान्ति की स्थापना, पालि और बौद्ध संस्कृत साहित्य में शान्ति और सद्भाव, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का विश्व-साहित्य पर प्रभाव, भारत और विदेशों में पालि और बौद्ध अध्ययन, विश्व शान्ति और सद्भाव में मीडिया की भूमिका आदि विषयों पर थे। इन शोध पत्रों के माध्यम से विद्वतजनों ने अपने विचार रखे तथा बताया कि भारत सदैव एक ऐसा देश रहा है जिसने सम्पूर्ण विश्व को शान्ति व मैत्री का संदेश प्रदान किया। वैश्विक शान्ति संदेश की मूल भावना तथागत बुद्ध के उपदेशों से प्रेरित रही है।



भगवान बुद्ध की शिक्षाओं के द्वारा मानव शील-सदाचार का पालन करते हुए स्वयं तथा सम्पूर्ण मानव समाज के लिए शान्ति स्थापना के द्वार खोल सकता है। भगवान बुद्ध की शिक्षाएॅ सभी देश काल परिस्थितियों में प्रासंगिक थी और आने वाले भविष्य में और भी अधिक प्रासंगिक होगी। तथागत की शिक्षाएॅ सम्पूर्ण समाज में वसुधैव कुटुम्ब तथा विश्व-बंधुत्व की भावना को विकसित करती है।

बुद्धिस्ट कान्क्लेव में ही श्रीलंका से आयी चामिनी वीरासूरिया (ब्ींउपदप ूममतंेववतपलं) के द्वारा लगायी गयी फोटो प्रदर्शनी में भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण घटनाओं, उनकी शिक्षाओं, विपश्यना आदि को चित्रण के माध्यम से बहुत अच्छे ढंग से अभिव्यक्त किया गया है। एक अन्य फोटो गैलरी में डाॅ0 प्रफुल्ल गडपाल द्वारा चित्रित फ्लैक्स-चित्रण के माध्यम से दैनिक जीवन में उपयोग आने वाली वस्तुआंे और हिन्दी तथा पालि भाषा में उनके उच्चारण को जनसामान्य तक पहॅुचाने का सराहनीय प्रयास किया गया है।

संस्थान में ही विभिन्न प्रकाशकों द्वारा बौद्ध अध्ययन से सम्बन्धित पुस्तक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है। बुद्धिस्ट कान्क्लेव में आये हुए विद्वानों को संस्थान द्वारा प्रकाशित पालि भाषा के ज्ञान की चार पुस्तकांे जिनके नाम पालि वण्णावली, पालि-सल्लाप-सिक्खिका, धम्मलिपि-सिक्खणं, वोहार-पालि-सिक्खिका का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। ये पुस्तकें पालि भाषा को सीखने और समझने में अत्यन्त सहायक होंगी। इनमें पालि भाषा के स्वर, व्यंजन, संख्या, दैनिक उच्चारण आदि को सफलतापूर्वक समझाने का लेखक द्वारा सार्थक प्रयास किया गया है। आज आयोजित किये गये सत्रों में अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष भदन्त शान्ति मित्र ने शोधपत्र प्रस्तुत करने वाले विद्वानों-अतिथियों का समय-समय पर उचित मार्गदर्शन कर उनके मनोबल को बढ़ाया तथा आशीर्वाद दिया। शिव कुमार पाठक, निदेशक, संस्थान द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत करने वाले विद्वानों एवं शोध छात्रों को अंगवस्त्र तथा मोमेण्टो प्रदान किया गया और अन्त मे आयोजन समिति के अध्यक्ष राजेश चन्द्रा के धन्यवाद के साथ सत्रावसान हुआ। तीन दिवसीय बुद्धिस्ट कान्क्लेव के अन्तिम दिन सोमवार, दिनांक 22 मार्च, 2021 को प्रातः 10.00 बजे से पुनः सत्र प्रारम्भ होगा तथा कान्क्लेव के समापन सत्र का प्रारम्भ सायं 3.30 बजे से होगा।



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