नईदिल्ली (मानवी मीडिया): ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने पीएम नरेंद्र मोदी को 11 से 13 जून तक कॉर्नवाल क्षेत्र में होने वाले जी 7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। शिखर सम्मेलन में कोरोना वायरस महामारी, जलवायु परिवर्तन और मुक्त व्यापार जैसे ग्लोबल टॉपिक्स पर चर्चा होगी। इस बार जी-7 के शिखर सम्मेलन में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया को भी मेहमान के तौर पर बुलाया गया है
ब्रिटिश उच्चायोग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि दुनिया की फार्मेसी के रूप में भारत पहले से ही दुनिया को 50 प्रतिशत से ज्यादा वैक्सीन की आपूर्ति करता है। यूनाइटेड किंगडम और भारत ने कोरोना जैसी महामारी के दौरान एक साथ मिलकर काम किया है। हमारे प्रधानमंत्री लगातार बातचीत करते रहते हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जी-7 से पहले भारत की यात्रा पर आ सकते हैं।बता दें कि इस साल भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था, लेकिन ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन को देखते हुए उनका भारत दौरा रद्द हो गया। अब जी 7 से पहले उनके भारत के दौरे की उम्मीद है। दुनिया के बड़े लोकतंत्रों के प्रधानमंत्री राष्ट्रपति इन चुनौतियों से निपटने के लिए UK में एक साथ नजर आएंगे। जहां पर कोरोना वायरस संकट से निपटने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चर्चा करेंगे। इसके साथ ही ये भी सुनिश्चित करेंगे कि हर जगह लोग ओपन ट्रेड, तकनीकी बदलाव और वैज्ञानिक खोज से फायदा उठा सकें। G7 क्या है G-7 ?
G-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का ग्रुप है। जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ़ सेवन भी कहते हैं। शुरुआत में ये 6 देशों का ग्रुप था, जिसकी पहली मीटिंग 1975 में हुई थी। लेकिन एक साल बाद ही यानी 1976 में इस ग्रुप में कनाडा शामिल हो गया और ये ग्रुप 7 बन गया। हर एक सदस्य देश बारी-बारी से इस ग्रुप की अध्यक्षता करता है और एनुअल समिट की मेजबानी करता है। इसमें लंबे समय से भारत को शामिल करने की मांग की जा रही है।