लखनऊ (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश भंडारागार निगम, पीसीएफ, लैक्फेड और उ.प्र. सहकारी ग्राम विकास बैंक में हुई भर्तियों में भारी अनियमितताएं किए जाने की सूचनाएं सामने आ रही हैं। एसआईटी की जांच अंतिम दौर में है। बहुत जल्द रिपोर्ट सरकार के पास भेजने की तैयारी है। सहकारिता की इन संस्थाओं की भर्तियों में नियमों की अनदेखी कर शैक्षिक अहर्ताएं बदलने तथा उत्तर पुस्तिकाओं (ओएमआर सीट) से छेड़छाड़ किए जाने के साक्ष्य जांच टीम को मिले हैं। एसआईटी की जांच में इन संस्थाओं की भर्तियों में खेल करने के आरोप में तीन सेवानिवृत्त पदाधिकारियों के साथ ही सहकारिता विभाग के छह बड़े अफसर और तीन-चार अन्य अफसर फंस सकते हैं। सरकार के पास रिपोर्ट पहुंचने पर इन सभी पर गाज गिरनी तय है। सभी भर्तियों में सहकारी सेवा मंडल के तत्कालीन पदाधिकारियों की भूमिका अहम रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद सपा शासनकाल में 2012 से 2017 के बीच सहकारी संस्थाओं में हुई भर्तियों की जांच एसआईटी टीम कर रही है। सूत्र बताते हैं कि जांच करीब करीब पूरी कर ली गई है। जांच में उ.प्र.भंडारागार निगम, पीसीएफ, लैकफेड और उ.प्र.सहकारी ग्राम विकास बैंक में करीब 2300 पदों पर हुईं भर्तियों में बड़े पैमाने पर हेराफेरी और मनमानी की गई है। नियम विरुद्ध अहर्ताएं बदले जाने तथा ओएममआर सीट में हेराफेरी के सबूत जांच टीम के हाथ लगे हैं।
बतादें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े संगठन सहकार भारती ने सपा शासनकाल में हुई भर्तियों की जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री से की थी। एसटीएफ ने सबसे पहले यूपी कोआपरेटिव बैंक में सहायक प्रबंधकों की भर्ती की जांच पूरी की थी जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गईं। इस मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर संस्थागत सेवामंडल के तत्कालिन चेयरमैन, बैंक के प्रबंध निदेशक, कंप्यूटर एजेंसी के प्रोपराइटर सहित अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जा चुकी है।