संस्कृत देश की सभी भाषाओं की जननी है
नई शिक्षा नीति से संस्कृत भाषा के अध्ययन-अध्यापन में
लाभ मिलेगा - राज्यपाल
लखनऊः (मानवी मीडिया)‘संस्कृत देव भाषा है। सही मायनों में संस्कृत भारत की आत्मा है। देश के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, धार्मिक, दार्शनिक, ऐतिहासिक और सामाजिक जीवन का विकास संस्कृत भाषा में ही समाहित है। संस्कृत देश की सभी भाषाओं की जननी है। संस्कृत वस्तुतः हमारी संस्कृति का मेरूदण्ड है, जिसने हजारों वर्षों से हमारी अनूठी भारतीय संस्कृति को न केवल सुरक्षित रखा है, बल्कि उसका संवर्द्धन तथा पोषण भी किया है।‘
उक्त विचार उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज राजभवन में संस्था संस्कृत भारती की पुस्तक ‘अवध सम्पदा’ के विमाचन समारोह में व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से संस्कृत भाषा को मजबूती मिलेगी, संस्कृत आधुनिक विज्ञान की भाषा है। अब स्कूली शिक्षा में संस्कृत के साथ तीन अन्य भारतीय भाषाओं का विकल्प होगा। इससे हमारी युवा पीढ़ी को संस्कृत भाषा के अध्ययन अध्यापन में लाभ मिलेगा। राज्यपाल ने कहा कि आज देश में कई गांव ऐसे हैं, जहां संपूर्ण संस्कृत भाषा का आचरण होता है। संस्कृत भाषा को जन भाषा बनाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए।
राज्यपाल ने कहा कि विशेषज्ञ नई शिक्षा नीति के अनुसार संस्कृत भाषा तथा साहित्य के विस्तार की व्यापक कार्य योजना आधुनिक सन्दर्भ में तैयार करें, जिससे संस्कृत में विद्यमान महान ज्ञान सम्पदा को अधिकतम लोगों तक पहुंचाया जा सके। आज पूरा विश्व संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता और प्रामाणिकता को समझ रहा है। देश-विदेश के मनीषियों ने संस्कृत की महत्ता को हृदय से स्वीकारा है। भारत के साथ-साथ कई विदेशी विद्वानों ने संस्कृत-शास्त्रों का गहन अध्ययन, चिन्तन एवं मनन किया है।
कार्यक्रम में संस्कृत भारती संस्था के सचिव श्री कन्हैया लाल झा, प्रांत सम्पर्क प्रमुख जितेन्द प्रताप सिंह, कोषाध्यक्ष नीरज अग्रवाल एवं संगठन मंत्री डाॅ0 गौरव नायक सहित अन्य लोग उपस्थित थे।