आलू की फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें - मानवी मीडिया

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Saturday, January 2, 2021

आलू की फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें


लखनऊ:( मानवी मीडिया)निदेशक, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण ने बताया कि जब मौसम में 85 प्रतिशत से अधिक नमी आ जाये और लगातार तीन दिन तक कोहरा बना रहे और तापमन 5 डिग्री सेन्टीग्रेट से कम हो। ऐसी स्थिति में पिछेता झुलसा के अनुकूल होती है। उन्होंने बताया कि मौसम की अनुकूलता के आधार पर आलू की फसल में पिछेता-झुलसा बीमारी निकट भविष्य में आने की सम्भावना है तथा इस मौसम में पाला भी पड़ने की सम्भावना है, जिससे आलू की फसल को नुकसान हो सकता है।

निदेशक उद्यान ने किसान भाईयों को सलाह दी है कि जो किसान भाई
‘‘आलू की फसल में अभी तक फफूँदनाशक दवा का पर्णीय छिड़काव नहीं किया है, वे किसान आलू की फसल में अभी पिछेता-झुलासा के बचाव हेतु मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोनील युक्त फफूँदनाशक 2.0-2.5 किग्रा0 प्रति 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। साथ ही यह भी सलाह दी है कि जिन खेतों में बीमारी प्रकट हो चुकी हो उनमें किसी भी फफूँद नाशक साईमोक्सेनिल के साथ मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा0 प्रति हे0 1000 ली0 पानी की दर से अथवा फेनोमिडान के साथ मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा0 प्रति हे0 1000 ली0 पानी की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किग्रा एवं मेन्कोजेब 2.0 किग्रा0 के साथ कुल मिश्रण 3.0 प्रति हे0 1000 ली0 पानी की दर से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि फफूँदनाशक को दस दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है अथवा रोग की तीव्रता के आधार पर इस अन्तराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूँदनाशक का बार-बार छिड़काव न करें।
निदेशक ने बताया कि किसान भाई पाले से फसल के बचाव के लिए अपने आलू के खेतों में पर्याप्त नमी रखें, इसके लिए आवश्यक है कि आलू की फसल की आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें तथा बचाव के लिए खेत के नजदीक धुंए के लिए अलावा जलायें।

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