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Monday, January 11, 2021

भारत में बनी कोरोना वैक्सीन पर टिकी दुनिया की निगाहें, सऊदी अरब समेत 9 देशों ने मांगी मदद


नई दिल्ली (मानवी मीडिया): कोरोना के बढ़ते प्रसार को रोकने के लिए दुनिया इसकी वैक्सीन का इंतजार रही है। इसी बीच भारत में कोरोना की दो वैक्सीन को इमर्जेंसी इस्तेमाल की इजाजत मिलने के साथ ही दुनिया की निगाहें अब भारत पर टिक गई हैं। भारत में कोरोना की दो वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत मिलने के बाद ब्राजील, मोरक्को, सऊदी अरब, म्यांमार, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों ने भारत से वैक्सीन की आधिकारिक तौर पर मांग की है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना वैक्सीन के वितरण में भारत सरकार बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसी देशों को तवज्जो देगी


ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर भारत बायोटेक- एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की 20 लाख डोज तत्काल देने का अनुरोध किया है। हालांकि भारत की ओर से जो प्लान तैयार किया गया है उसके मुताबिक कोरोना वैक्सीन पहले पड़ोसी देशों को दी जाएगी, उसके बाद अन्य देशों का नंबर आएगा। खबरों के मुताबिक, नेपाल ने भारत से 12 मिलियन कोरोना वैक्सीन के डोज की मांग की है। वहीं, भूटान ने पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में निर्मित की जा रही वैक्सीन की 1 मिलियन डोज की मांग की है। म्यांमार ने भी सीरम के साथ एक खरीद अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। उधर, बांग्लादेश ने कोविशील्ड की 30 मिलियन डोज के लिए अनुरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत शुरू से ही दुनिया के साथ कोरोना की जंग लड़ रहा है। हम इस दिशा में सहयोग करने को अपने कर्तव्य के तौर लेते हैं। हमारी कोशिश है कि इस जंग में हम दुनिया की ज्यादा से ज्यादा मदद कर सकें। बता दें कि DCGI ने सीरम इंस्टीट्यूट की वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की वैक्सीन कोवैक्सीन के आपातकाल इस्तेमाल को अंतिम मंजूरी दे दी है।भारत की कोरोना वैक्सीन की चीन ने की तारीफ  

भारत में बने कोरोना वायरस टीकों की चीन ने तारीफ करते हुए कहा कि उसके दक्षिण एशियाई पड़ोस देश में बने वैक्सीन की गुणवत्ता के मामले में किसी से भी पीछे नहीं है। चीन कम्युनिस्ट पार्टी के ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित एक लेख में चीनी विशेषज्ञों ने एक स्वर में यह कहा है कि भारत में निर्मित हुए कोरोना वायरस के टीके चीनी टीकों के मुकाबले किसी भी एंगल से कम नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि भारतीय टीके रिसर्च और प्रोडक्शन क्षमता किसी भी स्तर पर कमतर नहीं हैं।

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