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Friday, January 8, 2021

किसानों कि 8वें दौर की वार्ता भी रही बेनतीजा, 15 जनवरी को फिर होगी बातचीत


नई दिल्ली (मानवी मीडिया): कृषि कानूनों को लेकर किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच 8वें दौर की वार्ता फिर बेनतीजा रही है। इस बैठक को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हल निकलने की उम्मीद जताई थी। अब सरकार आगामी 15 जनवरी को किसानों की मांगों को लेकर संगठनों के साथ एक बार फिर बैठक करेगी। किसान बिल वापसी से कम पर राजी नहीं हैं, जबकि सरकार संशोधन को तैयार है। सरकार के साथ मुलाकात के बाद एक किसान नेता ने कहा कि 15 जनवरी को सरकार द्वारा फिर से बैठक बुलाई गई है। सरकार कानूनों में संशोधन की बात कर रही है, लेकिन हम कानून वापस लेने के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे। किसानों का कहना है कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दोबारा ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। सरकार और किसान नेताओं के बीच 8वें दौर की बैठक भी बेनतीजा,  

अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि कृषि कानूनों को लेकर आज गर्मागर्म चर्चा हुई, हमने कहा कि हम कानूनों को निरस्त करने के अलावा कुछ नहीं चाहते हैं। हम किसी भी अदालत में नहीं जाएंगे, यह कानून या तो रद्द किए जाएंगे या हम लड़ना जारी रखेंगे। 26 जनवरी को हमारी परेड योजना के अनुसार होगी।  किसान-सरकार के बीच  बैठक खत्म, जानिए क्या रहा नतीजा - किसान संबठनों से वार्ता के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आज किसान यूनियन के साथ 2 बजे वार्ता शुरू हुई। वार्ता में तीनों कानून के सन्दर्भ में चर्चा हुई। कृषि कानून वापस लेने के अलावा अगर किसान यूनियन कोई और विकल्प दे तो उस पर चर्चा हो.कृषि मंत्री ने बताया कि 15 जनवरी को जो बैठक होगी उसमें कोई समाधान ढूंढने में हम सफल होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार का किसान संगठन से आग्रह रहा की कानून वापस लेने के अतिरिक्त कोई और विकल्प किसान यूनियन दे तो सरकार चर्चा करेगी। किसान यूनियन और सरकार दोनों ने 15 जनवरी को दोपहर 12 बजे बैठक का निर्णय लिया है। मुझे आशा है कि 15 जनवरी को कोई समाधान निकलेगा।

 बता दें, कृषि कानूनों को रद्द कराने पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। इसके लिए किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी है। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।

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