नई दिल्ली(मानवी मीडिया): हर महीने हाथ में आने वाली सैलरी सभी को खुशी देती है। अगर उसमें से कभी कुछ पैसे काटती है तो कर्मचारी तुरंत इस संबंध में जानकारी लेता है। क्या आपको पता है ? ऐसा ही एक फंड होता है लेबर वेलफेयर फंड, जिसमें कर्मचारी की सैलरी से महज 25 रुपये महीना कटते हैं और उसे लाखों रुपये की योजनाओं का फायदा लेने का मौका मिलता है। ईएसआई (Esi) और मेडिक्लेम से अलग यह राज्य लेबर वेलफेयर बोर्ड का फंड है। इसमें कर्मचारी को चश्मा और साइकिल खरीदने से लेकर जबड़ा और कृत्रिम अंग लगवाने तक के लिए पैसा मिलता है।
लेबर अफेयर्स एक्सपर्ट बेचु गिरि कहते हैं कि प्राइवेट कर्मचारियों को आर्थिक सहायता देने के लिए सरकार की ओर से तमाम उपाय किए गए हैं. कई तरह की योजनाएं हैं। कई फंड हैं लेकिन सबसे बड़ी परेशानी यह है कि लोगों को इन सुविधाओं की जानकारी नहीं है। वहीं हरियाणा में लेबर वेलफेयर फंड के रूप में प्राइवेट कर्मचारियों के 25 रुपये मासिक कटते हैं लेकिन कर्मचारियों को ही इसकी जानकारी नहीं होती और न ही कंपनियां या फैक्ट्रियां कर्मचारियों को इसकी जानकारी देती हैं। कई बार देखा गया है कि कुछ महीने तक वेलफेयर फंड में पैसा देने के बाद बीच में ड्रॉप कर दिया जाता है। जिसकी वजह से कर्मचारी को लाभ नहीं मिल पाता। जबकि इसके लिए बेहद कम राशि जमा की जाती है लेकिन कर्मचारियों को लाखों रुपये का लाभ मिलता है। घर बैठे SBI मुद्रा लोन के लिए कर सकते हैं अप्लाई, जानिए 59 मिनट में कैसे मिलेगा लोन घूमने के लिए पैसा
कर्मचारी को चार साल में एक बार चार लोगों के परिवार के लिए आने-जाने का खर्च और घूमने का पैसा दिया जाता है। यह पैसा रेलवे की दूसरी श्रेणी की टिकट या रोडवेज बस की टिकट कुछ भी हो सकता है। इसके साथ ही घूमने की अवधि 10 दिन से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। हर महीने 3000 रुपये पेंशन पाने के लिए किसानों को देने होंगे ये डॉक्यूमेंट बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए राशि- इस योजना के तहत कर्मचारी को दो लड़कों और तीन लड़कियों तक की उच्च शिक्षा के लिए पैसा मिलता है। नौवीं और दसवीं के लिए चार हजार और छह हजार रुपये से लेकर एमबीबीएस तक की पढ़ाई के लिए 10 हजार और 15 हजार रुपये तक सालाना मिलते हैं। इसके अलावा इंजीनियरिंग और फार्मेसी में पढ़ाई करने पर सात हजार और साढ़े 10 हजार रुपये मिलते हैं। इनके अलावा कर्मचारी की बेटियों के लिए आठवीं तक स्कूल की किताबें, यूनिफॉर्म और कॉपियों के लिए पांच हजार रुपये तक सालाना मिलते हैं। किसी स्थिति में अपना अंग गंवाने वालों को इससे बड़ा फायदा मिलता है. लेबर वेलफेयर फंड से कृत्रिम अंग लगवाने के लिए पूरा पैसा मिलता है. हालांकि राज्यों की ओर से इनके लिए अस्पताल चयनित हैं। वहीं दिव्यांग होने पर 20 हजार रुपये तक मिलते हैं।