प्रयागराज (मानवी मीडिया) : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प देने वाले सहायक अध्यापक ग्रेच्युटी पाने का हकदार है, इसलिए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इन्कार करना मनमानापूर्ण है। न्यायालय ने राज्य सरकार पर पांच हजार रूपये हर्जाना लगाते हुए तीन हफ्ते में विधवा याची को उसके पति की बकाया ग्रेच्युटी का मय ब्याज के भुगतान करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने श्रीमती रोशन अख्तर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याची के पति मुज्जमिल अली खान महात्मा गांधी पालिका इंटर कालेज उझानी, बदायूं मे सहायक अध्यापक थे। उन्होंने 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया और उन्हें सत्र लाभ देते हुए 30 जून 12 को सेवानिवृत्ति दे दी गयी। ग्रेच्युटी के अलावा सारे भुगतान कर दिये गये और ग्रेच्युटी देने से मनमाने ढंग से इंकार कर दिया गया, जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी। कोर्ट ने सरकार से दो बार जवाब मांगा और तीसरी बार अंतिम अवसर देने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया गया जिस पर कोर्ट ने बिना सरकारी जवाब के याचिका मंजूर कर ली है।