नई दिल्ली (मानवी मीडिया)- नए कृषि कानूनों को लेकर पेंच बरकरार है। आज 28वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। इसी बीच सरकार के प्रस्ताव पर किसान नेताओं ने सिंघु बॉर्डर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उनका आंदोलन और तेज होगा। किसानों ने कहा कि वे बातचीत को तैयार हैं लेकिन सरकार खुले मन से बात करे, 'तथाकथित किसानों' से बात कर फूट न डाले। सिंघु बॉर्डर पर आज बुधवार को सरकार के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए किसान संगठनों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक के बाद किसान संगठनों ने कहा कि हम तीनों कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे बल्कि इन कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं और स्पष्ट नहीं है। किसानों ने देर शाम सरकार को जवाब देने के लिए भी अपनी रणनीति का एलान किया है। बुधवार को सभी संगठनों से मंत्रणा करने के बाद किसान अपना जवाब केंद्र को भेजेंगे। इसमें किसानों का सवाल है कि केंद्र सरकार बताए कि कृषि कानून रद होंगे या नहीं, इसके बाद वह बताएंगे कि बातचीत के लिए जाएंगे या नहीं। जाएंगे तो कब व किसके बुलावे पर जाएंगे।
किसानों की प्रेस कांफ्रेंस से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज कहा कि आंदोलनकारी किसानों से सरकार खुले मन से बातचीत को तैयार है। कृषि मंत्री ने कहा कि हर आंदोलन का हल बातचीत से ही निकलेगा, मैं पूरी तरह आशावान हूं कि आंदोलनरत किसान बातचीत करेंगे, मेरी प्रार्थना है किसानों से कि वो किसान क़ानून की भावना को समझें। तोमर ने बताया कि पीएम मोदी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत वित्तीय लाभ की अगली किस्त 25 दिसंबर को दोपहर 12 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जारी करेंगे।
उधर, किसानों के विरोध के कारण टिकरी बॉर्डर पर स्थित पेट्रोल पंपोंं की बिक्री कम हुई है, जिसके कारण पेट्रोल पंपों को नुकसान हुआ है। भारत पेट्रोलियम के पेट्रोल पंप के मैनेजर ने बताया कि हमें रोजाना लगभग 60,000 रुपये का नुकसान हो रहा है।