अपना वजूद बचाने के लिए किसानों के आंदोलन में कूदे कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलः रविशंकर प्रसाद - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Monday, December 7, 2020

अपना वजूद बचाने के लिए किसानों के आंदोलन में कूदे कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलः रविशंकर प्रसाद


नई दिल्ली(मानवी मीडिया)- तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सियासत का दाैर भी जारी है। आज भाजपा की तरफ से केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि किसान आंदोलन में कूदे विपक्षी दलों का दोहरा और शर्मनाक रवैया सामने आया है। प्रसाद ने कहा है कि ये दल अपना राजनीतिक वजूद बचाने के लिए आंदोलन के साथ आए हैं। विपक्षी दलों का काम सिर्फ मोदी सरकार का विरोध करना ही रह गया है।

प्रसाद ने कहा, 'किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन ये सभी कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेंद्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है। विपक्ष का शर्मनाक और दोहरा चेहरा सामने आया है। विपक्ष राजनीतिक वजूद बचाने के लिए आंदोलन के साथ है।' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि  किसान आंदोलन के नेताओं ने साफ-साफ कहा है कि राजनीतिक लोग हमारे मंच पर नहीं आएंगे। हम उनकी भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन विपक्षी दल इसमें कूद रहे हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा और नरेन्द्र मोदी जी का विरोध करने का एक और मौका मिल रहा है। आज जब कांग्रेस का राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है, ये बार-बार चुनाव में हारते हैं चाहे वो लोकसभा हो, विधानसभा हो या नगर निगम चुनाव हो। ये अपना अस्तित्व बचाने के लिए किसी भी विरोधी आंदोलन में शामिल हो जाते हैं। 

बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस ने 2014 के मैनिफेस्टो में APMC एक्ट को समाप्त करेगी। 2014 में कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में इंग्लिश में लिखा हैं कि APMC एक्ट को Repeal करेगी और हिंदी में लिखा कि हम इस कानून में संशोधन करेंगे, जो हम कर रहे हैं।कांग्रेस ने कहा है कि सरकार किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है लेकिन उसे सोचना चाहिए कि यह समय परीक्षा लेने का नहीं बल्कि किसानों की समस्या का समाधान कर सबको साथ लेकर चलने का है। उधर, कांग्रेस नेता सुनील जाखड़ ने सोमवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सरकार किसानों के मुद्दे पर हठधर्मिता अपना रही है तथा किसानों की बात सुनने की बजाय अपनी बात पर अड़ गई है और उसे मनवाने के लिए किसानों को बांटने की नीति पर काम रही है। उन्होंने कहा कि किसानों को बांटने की बजाय सरकार को संयमपूर्वक उनकी बात सुननी चाहिए और उनके धैर्य को चुनौती नहीं देनी चाहिए। उनका कहना था कि यह समय धैर्य की परीक्षा लेने का नहीं बल्कि सबको साथ लेकर के चलने और किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए कदम उठाने का है।

Post Top Ad