नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकराने के बाद किसानों ने घोषणा की है कि मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज किया जाएगा। वहीं किसानों के इंकार के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय कृषि मंत्री के बीच हाईलेवल बैठक हुई है। यह बैठक करीब ढाई घंटे चली। बैठक अब खत्म हो गई है। हालांकि बैठक का विस्तृत वर्णन नहीं मिला है। बैठक में वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद थे।विपक्षी प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति से मिला, किसानों के मुद्दों पर हस्तक्षेप का अनुरोध
उधर, विपक्षी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की और लंबा खिंचते जा रहे किसान आंदोलन को लेकर अपनी चिंता जताई। विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल, जिसने 25 राजनीतिक दलों के समर्थन का दावा किया है, ने राष्ट्रपति कोविंद से किसानों के मुद्दे में हस्तक्षेप करने और सरकार को कृषि कानूनों को रद्द करने की सलाह देने का अनुरोध किया। प्रतिनिधिमंडल की ओर से राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा गया है, जिसमें कहा गया कि है कि संसद में बहस किए बिना ही अलोकतांत्रिक तरीके से इन कृषि विधेयकों को पारित किया गया है, जिन्हें निरस्त किए जाने की जरूरत है। राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, किसान तब तक चैन से नहीं बैठेंगे, जब तक कि कानून निरस्त नहीं हो जाते हैं। अगर ये कानून किसानों के हित में हैं, तो फिर वे सड़कों पर क्यों हैं और क्यों विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हमने राष्ट्रपति को सूचित किया कि इन किसान विरोधी कानूनों को वापस लिया जाना बेहद जरूरी है।अब आगे की किसानों की रणनीति
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के राहुल गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी. राजा और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के नेता एलंगोवन शामिल रहे।
शरद पवार ने कहा कि इस मुद्दे को हल करना सरकार का कर्तव्य है। उन्होंने कहा, सभी विपक्षी दलों ने कृषि विधेयकों पर गहन चर्चा के लिए अनुरोध किया था और कहा था कि इन्हें एक प्रवर समिति (सलेक्ट कमेटी) को भेजा जाना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से कोई सुझाव स्वीकार नहीं किया गया और विधेयकों को जल्दबाजी में पारित कर दिया गया। प्रतिनिधिमंडल के नेताओं का विचार है कि सरकार को जल्द फैसला लेना चाहिए। डी. राजा ने कहा, एक राजनीतिक दल और विपक्ष के रूप में हम वापस बैठकर इसे नहीं देख सकते। विपक्षी नेता उन राजनीतिक दलों की कुछ दिनों में एक बैठक बुलाने की योजना बना रहे हैं, जिन्होंने किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है