नई दिल्ली (मानवी मीडिया)- दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अचूक मारक क्षमता वाली कार्बाइन तैयार की है। कार्बाइन का फाइनल ट्रायल भी हो गया है। फाइनल ट्रायल के बाद अब यह काबाईन सेना के उपयोग के लिए हर तरह से तैयार है। इस कार्बाइन को DRDO की पुणे लैब और कानपुर की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड ने मिलकर बनाया है। इस कार्बाइन के निर्माण से सीआरपीएफ और बीएसएफ की तरह राज्य की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करने में भी मदद मिलेगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार 5.56×30 मिमी प्रोटेक्टिव कार्बाइन का गर्मियों में उच्चतम तापमान और सर्दियों में हाई एल्टीट्यूट वाले क्षेत्रों में परीक्षण की एक श्रृंखला का यह अंतिम चरण था। जॉइन्ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन ने शानदार मारक क्षमता और सटीक निशाने के कड़े मानदंडों को पूरा किया है। जेवीपीसी को कभी-कभी मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन (MSMC) भी कहा जाता है जो 700 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकती है। इस हथियार का प्राथमिक उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाए बिना टारगेट पर हमला करना है।इस कार्बाइन के लिए गोलियां पुणे की एम्यूनेशन फैक्टरी में तैयार होंगी। कार्बाइन एक ऐसा हथियार है, जिसमें राइफल की तुलना में छोटा बैरल होता है। इसे भारतीय सेना के जवानों की आवश्यकताओं के अनुसार डिजाइन किया गया है जिससे वे दुश्मनों को पटखनी दे सके।
इसे INSAS यानी इंडियन स्मॉल आर्म्स सिस्टम नाम दिया गया। इस तरह के हथियारों में रायफल और लाइट मशीनगन यानी LMG भी शामिल थी। INSAS पर कई तरह के टेस्ट किए गए। कई तरह के वातावरण में इनको इस्तेमाल किया गया और 1994 में लॉन्च किया गया।