नई दिल्ली (मानवी मीडिया): कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका है। अब किसान संगठनों और सरकार के बीच चार जनवरी को बातचीत होगी। रिपोर्टों के मुताबिक आज की बातचीत में गतिरोध तोड़ने की दिशा में कुछ सकारात्मक पहल देखने को मिली। किसान नेता चौधरी हरपाल सिंह बेलरी ने कहा कि सरकार ने पराली और बिजली से जुड़ी दो मांगें मान ली हैं। सरकार इन दोनों से जुड़े प्रावधान वापस लेने को सहमत हो गई है। बाकी दो मांगें- कृषि कानून निरस्त करने और एमएसपी पर गारंटी पर 4 जनवरी को चर्चा होगी। आज की बैठक में जिन चार मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें दो मुद्दों का हल निकल गया है।जिन 4 मुख्य मुद्दों पर बातचीत चली, वे हैं- 1. तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किया जाए। 2. एमएसपी को कानूनी जामा पहनाएं और 3. एनसीआर में प्रदूषण रोकने के लिए बने कानून के तहत कार्रवाई के दायरे से किसानों को बाहर रखा जाए। 4. विद्युत संशोधन विधेयक 2020 के मसौदे को वापस लिया जाए।
वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि विज्ञान भवन में किसान आंदोलन में शामिल नेताओं के साथ बैठक हुई। बैठक में किसान यूनियन के नेताओं ने जो 4 विषय चर्चा के लिए रखे थे, उनमें से 2 विषयों पर आपसी सहमति सरकार और किसान यूनियनों के बीच हो गई हैं। तोमर ने कहा कि पर्यावरण से संबधित अध्यादेश है उसमें पराली और किसान सम्मिलित हैं। उनकी शंका थी किसान को इसमें नहीं होना चाहिए। इस पर दोनों पक्षों में सहमति हो गई है। कृषि मंत्री ने कहा कि क़ानून के विषय में और MSP के विषय में चर्चा पूरी नहीं हुई है, चर्चा जारी है। हम लोग 4 जनवरी को 2 बजे फिर से इकट्ठा होंगे और चर्चा को आगे बढ़ाएंगे।
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रमुख नरेश टिकैत ने कहा कि वार्ता में किसान संघ विजयी होकर लौटेगा। किसानों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है। इस समय किसान यदि एकजुट नहीं होंगे तो आगे उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। टिकैत ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि विज्ञान भवन में सरकार के साथ बातचीत सही दिशा में चल रही है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि आज समस्या का समाधान निकल जाएगा। मैंने किसानों से जरूरत पड़ने पर अपना पैर थोड़ा पीछे खींचने के लिए भी कहा है।'