भोपाल (मानवी मीडिया): मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में एक विशेष बैठक में आज कैबिनेट द्वारा अनुमोदित एमपी फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल 2020 को मंजूरी दी। राज्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि 'इस नए विधेयक के तहत, किसी पर धार्मिक परिवर्तन के लिए मजबूर करने पर 1-5 साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपए का जुर्माना होगा'। वहीं, नए एमपी फ्रीडम ऑफ रिलिजन बिल 2020 के तहत, एक नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन, 50,000 रुपए के न्यूनतम दंड के साथ 2-10 साल की न्यूनतम जेल की सजा का प्रावधान है।
मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा किधर्म स्वातंत्र्य (धार्मिक स्वतंत्रता) विधेयक 2020 को विशेष कैबिनेट बैठक में मंजूरी के बाद अब विधानसभा में पेश किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, 28 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के तीन दिवसीय सत्र में से पास किया जा सकता है। दरअसल, प्रदेश में यह पूरी कवायद हिंदुत्ववादी विचारधारा को बढ़ावा देने की तैयारी है। मूलरुप से लव जिहाद को रोकने के लिए धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को पेश किया जा रहा है। नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष के परिजन शिकायत करते हैं तो पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। अब लव जिहाद की शिकार पीड़ित महिला का यदि बच्चा पैदा हो जाता है तो दोनों को न केवल भरण-पोषण का अधिकार होगा, बल्कि पिता की संपत्ति में बच्चा उत्तराधिकारी बनेगा। इतना ही नहीं, ऐसे केस की शिकायत आने पर सब इंस्पेक्टर से नीचे के स्तर के अधिकारी जांच नहीं कर सकेंगे और सेशन कोर्ट में ही उसकी सुनवाई होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही इस विधेयक के समर्थन में कह चुके हैं कि अब प्रदेश में कोई भी व्यक्ति किसी को बहला-फुसलाकर, डरा-धमका कर शादी कर या षडयंत्र कर धर्म परिवर्तन नहीं करा पाएगा। ऐसा करने वाले के खिलाफ सख्म कार्रवाई की जाएगी। प्रस्तावित बिल में प्रावधान किया गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा धर्म परिवर्तन कराने का प्रयास किया जाता है, तो पीड़ित के माता-पिता या सगे संबंधी भी शिकायत दर्ज करा सकेंगे। ऐसी शिकायत पर पुलिस आरोपी के खिलाफ केस दर्ज करेगी। ऐसे मामले में अपराध गैर जमानती होगा।