फिर चर्चा में  बराक ओबामा  , अपनी किताब में लिखा-राहुल का भविष्य बचाने के लिए सोनिया ने मनमोहन सिंह को बनाया था प्रधानमंत्री - मानवी मीडिया

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Tuesday, November 17, 2020

फिर चर्चा में  बराक ओबामा  , अपनी किताब में लिखा-राहुल का भविष्य बचाने के लिए सोनिया ने मनमोहन सिंह को बनाया था प्रधानमंत्री

नई दिल्‍ली (मानवी मीडिया):अमेरिका के पंसदीदा और पूर्व राष्‍ट्रप‍ति बराक ओबामा एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार ओबामा अपनी लिखी किताब के कारण चर्चा में बने हुए हैं। अपनी किताब में उन्होंने कांग्रेस को लेकर कई बातें लिखी हैं। उन्‍होंने कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी को नर्वस छात्र बताया, साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ भी की। उन्‍होंने अपनी किताब में लिखा है कि सोनिया गांधी की वजह से ही मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन पाए थे। अपनी किताब 'ए प्रॉमिस्‍ड लैंड' में अमेरिका के पूर्व राष्‍ट्रपति बराक ओबामा ने लिखा है, 'एक से अधिक राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना था कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को ठीक चुना था, क्योंकि एक बुजुर्ग सिख के रूप में जिनके पास कोई राष्ट्रीय राजनीतिक आधार नहीं था, उनसे उनके 40 वर्षीय बेटे राहुल को कोई खतरा नहीं था, जिसे वह कांग्रेस को संभालने के लिए तैयार कर रही थीं।' ओबामा ने किताब में डा. मनमोहन सिंह के घर हुई डिनर पार्टी का भी जिक्र किया है।उन्‍होंने लिखा है कि जब वह मनमोहन सिंह के घर पर डिनर के लिए गए थे, उस समय वहां सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी मौजूद थे।


सोनिया गांधी के बारे में उन्‍होंने लिखा है कि उन्‍होंने उस दौरान बोला कम और सुना ज्‍यादा, जब नीति संबंधी मामले उठे तो उन्‍होंने सावधानीपूर्वक मनमोहन सिंह से अलग रखा और अपने बेटे (राहुल गांधी) के संबंध में बातचीत को आगे बढ़ाया।'  किताब में ओबामा ने लिखा है कि मनमोहन सिंह के साथ बिताया गया समय उनके लिए 'असामान्य ज्ञान और शालीनता" के रूप में उनकी प्रारंभिक छाप की पुष्टि करता है। डा. मनमोहन सिंह ने हमलों के बाद पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने के लिए उठी मांग का विरोध किया था, लेकिन उनके संयम की कीमत उन्‍हें राजनीतिक रूप से चुकानी पड़ी, उन्हें डर था कि बढ़ती मुस्लिम विरोधी भावना ने भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के प्रभाव को मजबूत किया है।'ओबामा ने आगे लिखा, 'मैंने सोचा कि जब डा. मनमोहन सिंह पद छोड़ देंगे तो क्या होगा? क्या इस दावेदारी का हस्‍तांतरण राहुल गांधी को सफलतापूर्वक हो पाएगा? जो अपनी मां द्वारा रखी गई नियति को पूरा करेंगे और भाजपा द्वारा विभाजनकारी राष्ट्रवाद पर कांग्रेस पार्टी के प्रभुत्व को संरक्षित करेंगे? किसी तरह, मुझे इस पर संदेह था। यह डा. सिंह की गलती नहीं थी। उन्होंने शीत युद्ध के बाद की दुनिया में उदार लोकतंत्र की प्लेबुक का पालन करते हुए अपना काम किया था। संवैधानिक व्यवस्था को कायम रखा, जीडीपी और सामाजिक सुरक्षा जाल का विस्तार किया। मेरी तरह उनका मानना ​​था कि हममें से कोई भी लोकतंत्र से उम्मीद कर सकता है, विशेष रूप से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे बड़े, बहुभिन्नरूपी, बहुसंख्यक समाज में।' 


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