नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-कोरोना ने हर सेक्टर को प्रभावित किया है। अब तो इसका सीधा असर संसद सत्र पर भी पड़ने के आसार बढ़ गए हैं। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक विचार किया जा रहा है कि अलग-अलग शीतकालीन और बजट सत्र के बजाए एक बार ही संसद के विस्तारित सत्र का आयोजन किया जाए। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे सुझाव आए हैं कि छोटी अवधि में दो सत्र के स्थान पर एकीकृत सत्र का आयोजन किया जाए। संसद का शीतकालीन सत्र नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होता है जबकि बजट सत्र जनवरी के अंतिम हफ्ते से शुरू होता है और एक फरवरी को आम बजट पेश किया जाता है। महामारी के बीच 14 सितंबर से आहूत मॉनसून सत्र की अवधि आठ दिन कम कर दी गयी थी और 24 सितंबर को सत्र समाप्त हो गया। इस सत्र के दौरान कोविड-19 से निपटने के लिए प्राधिकारों ने व्यापक व्यवस्था की थी लेकिन कई सांसद और संसद के कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए।पहले संसद सत्र में मोदी सरकार की प्राथमिकता बजट और तीन तलाक विधेयक पेश करना
स्वराज्य 14 सितंबर से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान लोकसभा की 10 बैठकें बिना अवकाश के हुईं जिनमें निर्धारित कुल 37 घंटे की तुलना में कुल 60 घंटे की कार्यवाही संपन्न हुई। इस तरह सभा की कार्यवाही निर्धारित समय से 23 घंटे अतिरिक्त चली। सत्र में 68 प्रतिशत समय में विधायी कामकाज और शेष 32 प्रतिशत में गैर विधायी कामकाज संपन्न हुआ। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि एक साल में संसद का तीन सत्र आयोजित करने की परंपरा है। यह कोई नियम नहीं है। संविधान के मुताबिक दो सत्रों के बीच छह महीने या ज्यादा का अंतराल नहीं होना चाहिए। आचार्य ने कहा कि अगर संसद के दो सत्रों को समाहित कर दिया जाए और इस साल केवल दो सत्रों का आयोजन हो तो इससे किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं होगा। संसद का मॉनसून सत्र 14 सितंबर से, सांसदों को कोरोना से बचाने के लिए किए गए ये बदलाव