लखनऊ: (मानवी मीडिया) उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष बृज लाल ने हाथरस प्रकरण के सम्बन्ध में मीडिया के समक्ष महत्वपूर्ण तथ्य रखे हैं, जिससे घटना के सम्बन्ध में सच्चाई से जनता अवगत हो सके। बृज लाल ने कहा कि कुछ लोग इस दुखद घटना की आड़ में प्रदेश को हिंसा की आग में झोंकना चाहते थे। आज ही प्रमुख चैनलों ने खुलासा किया है कि कैसे एक राजनीतिक दल के बड़े नेता पैसे लेकर दंगे कराने पर आमदा थे। ऐसे में बतौर पूर्व डी0जी0पी0 और प्रदेश के एक आम नागरिक के तौर पर मैंने इस घटना की गहन विवेचना की। तमाम पक्षों से बातचीत की। प्रत्यदर्शियों से भी जानकारी ली। मैं आप सबके समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहा हूं, जिससे सारी बातें स्पष्ट हो जाएंगी। पीड़िता 14 सितम्बर, 2020 की सुबह 10.30 बजे थाने पर अपने भाई व माता के साथ बाइक पर आईं, वे जख्मी हालत में थीं। उनके भाई सत्येंद्र कुमार की हस्तलिखित तहरीर पर तत्काल धारा 307, 3(2)5 एस0सी0 एस0टी0 एक्ट में मुकदमा दर्ज किया गया। तहरीर पर सिर्फ एक अभियुक्त संदीप पुत्र गुड्डू को नामजद करते हुए हत्या का प्रयास करने की बात बताई गई थी। पीड़िता की हालत गंभीर देखते हुए होमगार्ड शिवकुमार के साथ तत्काल उन्हें जिला अस्पताल हाथरस मेडिकल परीक्षण हेतु भेजा गया। जिला अस्पताल ने गंभीर स्थिति को देखते हुए बिना मेडिकल परीक्षण के तत्काल उन्हें ए0एम0यू0 रेफर कर दिया। 2.30 बजे वे ए0एम0यू0 पहुंच गईं। जहां उनका इलाज प्रारंभ हो गया। ए0एम0यू0 में भर्ती होने के उपरांत हुए मेडिकल परीक्षण में उनके गले पर गंभीर चोट और पीठ पर रगड़ के निशान पाए गए। गले की नस दबने का प्रभाव उनके शरीर के बाकी हिस्सों पर पड़ा था। इसके अलावा उनके शरीर के अन्य किसी भी हिस्से पर गंभीर चोट के कोई निशान नहीं थे। जैसा कि कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया में व मेन स्ट्रीम मीडिया में झूठ फैलाया गया कि पीड़िता की जीभ काट ली गई थी, उनकी आंख को नुकसान पहुंचाया गया था और उनके हाथ पैर तोड़ दिए गए थे तो मैं स्पष्ट कर दूं कि ए0एम0यू0 के मेडिको लीगल रिपोर्ट में और बाद में सफदरजंग में हुए पोस्टमार्टम में ये बातें स्पष्ट रूप से गलत प्रमाणित हुई हैं। ये साफ हुआ कि पीड़िता की जीभ नहीं काटी गई थी। आंख को नुकसान नहीं पहुंचा था। हाथ पैर और कमर पर कोई चोट नहीं पहुंचाई गई थी। ये पूरी तरह से जातीय विद्वेष व सांप्रदायिक तनाव फैलाने की नीयत से किया गया था। चंूकि पीड़िता की हालत गंभीर थी उनका लगातार ए0एम0यू0 में इलाज चल रहा था। 19 सितम्बर, 2020 को जब वे बातचीत की स्थिति में आईं तब तत्कालीन सी0ओ0 रामशब्द यादव द्वारा उसी दिन ए0एम0यू0 में जाकर महिला पुलिसकर्मी के साथ माता-पिता की मौजूदगी में वीडियो रिकाॅर्डिंग के साथ आॅन कैमरा उनका बयान रिकाॅर्ड किया गया। जिसमें पीड़िता ने पुन सिर्फ एक नामजद संदीप पर जान से मारने की नीयत से हमला करने की बात कही और छेड़छाड़ की बात बताई, जो तहरीर में नहीं थी। इस बयान के आधार पर अभियोग में उसी दिन धारा 354 आई0पी0सी0 की बढोत्तरी की गई और दिनांक 20 सितम्बर, 2020 आरोपी संदीप की गिरफ्तारी कर ली गई। इस दरम्यान मदद एवं सुरक्षा के लिए दो पुलिसकर्मियों की तैनाती ए0एम0यू0 में कर रखी थी। विवेचना के क्रम में 22 सितम्बर, 2020 को पीड़िता का दुबारा बयान लिया गया तो उन्होंने चार लोगों द्वारा गैंगरेप की बात कही। उनका कहना था कि संदीप के अलावा तीन लोगों ने उनके साथ गैंगरेप किया। पुलिस ने तत्काल उनके बयान के आधार पर धारा 354 को गैंगरेप में बदल दिया एवं एक आरोपी को 24 घंटे के भीतर, दूसरे आरोपी को 48 घंटे के भीतर व तीसरे आरोपी को 72 घंटे के भीतर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस प्रकार, पीड़िता के हर बयान के आधार पर तत्काल कार्रवाई की जाती रही। अब सभी आरोपी गंभीर धाराओं में जेल के भीतर हैं। सरकार ने इस घटना को आरोप पत्र प्रेषित होते ही तत्काल फास्ट ट्रैक कोर्ट में भेजने की घोषणा कर दी है। यही नहीं संपूर्ण प्रकरण की जांच के लिए एस0आई0टी0 भी गठित कर दी गई है जो 30 सितम्बर, 2020 से हाथरस जाकर जांच कर रही है। ए0एम0यू0 की मेडिकल रिपोर्ट में गैंगरेप के प्रमाण नहीं मिले। तब पुलिस ने आगे और विधिवत जांच के लिए पीड़िता के कपड़े और सैम्पल्स को फाॅरेंसिक लैब, आगरा भेजा। इसके आधार पर एम0एम0यू0 की मेडिकल टीम ने रेप अथवा गैंग रेप की पुष्टि नहीं की। बाद में पीड़िता की दुखद मृत्यु होने के पश्चात जब सफदरगंज अस्पताल में डाॅक्टरों की टीम पैनल ने पोस्टमार्टम किया गया, तब वहां भी रेप अथवा गैंगरेप के साक्ष्य नहीं पाए गए। हत्या का कारण गले पर चोट पहुंचाना प्रमाणित हुआ। पोस्टमार्टम के पश्चात जैसा कि आप सब जानते हैं कि कतिपय राजनीतिक दलों और एक्टिविस्टों ने दिल्ली में सफदरजंग अस्पताल के परिसर में किस तरह का हंगामा और प्रदर्शन किया। यहां तक कि शव छीनने के भी प्रयास हुए। पर पुलिस संयमपूर्वक सभी को समझाती बुझाती रही। सफरदरजंग से शव निकालने में भी करीब साढे़ 10 घंटे का वक्त लगाया। रास्ते में भी भीम आर्मी जैसे कतिपय संगठनों के कार्यकर्ताओं ने शव छीनने का प्रयास किया। रात में करीब साढ़े बारह बजे शव सरकारी एंबुलेंस से गांव पहुंच पाया। चूंकि पोस्टमार्टम दिन के 11 बजे तक हो चुका था और शव की स्थिति लगातार बिगड़ रही थी इसलिए रास्ते में पीड़िता के पिता और भाई की सहमति से रात्रि में ही अंतिम संस्कार हेतु प्राप्त कर ली गई थी। परंतु गांव पहुंचने के बाद स्थितियां बदलने लगीं। कुछ बाहरी तत्व गांव में पहुंच चुके थे। पहले से ही परेशान परिवार वाले भीड़-भाड़ और तमाम लोगों की अलग-अलग राय से मानसिक तौर पर पूरी तरह उलझ चुके थे। इसी बीच पुलिस और स्थानीय खुफिया तंत्र को सूचना मिलने लगी कि इस घटना के बहाने हाथरस ही नहीं पूरे प्रदेश और देश में बड़े स्तर पर अराजकता का माहौल पैदा करने की कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। गांव बाहरी लोगों से भर चुका था। विरोध की आड़ में नफरत फैलाने के लिए तमाम तरह के अनैतिक हथकंडे अपनाये जाने लगे। ऐसी सूचनाएं आने लगीं कि कुछ लोग बड़े पैमाने पर हिंसा करने की योजना में भी हैं। अब जिसकी पुष्टि तमाम चैनलों के स्टिंग आॅपरेशन से भी हो रही है। इन स्टिंग आॅपरेशनों में खुलासा हुआ है कि कैसे तमाम समाज विरोधी लोग देश मे भाई-भाई को लड़ाकर जातीय नफरत फैलाना चाहते थे। लिहाजा परिवार की सहमति मुताबिक के पार्थिव शरीर को पूरे सम्मान के साथ हाथरस उनके गांव लाकर कुछ परिवार वालों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार कराया गया। ऐसे में जबरदस्ती दाह संस्कार कराने की बात पूरी तरह गलत है। फिर भी गठित एस0आई0टी0 सारी घटना की जांच कर रही है। एस0आई0टी0 की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर एस0पी0 समेत कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी निलंबित भी किए जा चुके हैं। इस दुखद घटना के दौरान कुछ लोगों द्वारा जानबूझ कर कुछ निहायत झूठी, आपत्तिजनक और एकतरफा सूचनाएं फैलाई गई हैं, जिसे लेकर हाथरस में गंभीर धाराओं में अलग-अलग प्रकरणों में कई मुकदमे दर्ज किये गए हैं। इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले हैं पी0एफ0आई0 जैसे संगठन से जुड़े कथित पत्रकार व कुछ अन्य पत्रकारों की भूमिका भी परिवार को तब भड़काने में रही जब परिवार के लोगों की मुख्यमंत्री से वार्ता हो चुकी थी और उनकी सारी मांगे मानी जा चुकी थीं। लिहाजा हाथरस में शांति व्यवस्था कायम रखने एवं एस0आई0टी0 को बिना व्यावधान के अपना काम करते रहने देने के लिए बाहरी सभी लोगों की गांव में एंट्री पर एहतियातन पाबंदी लगा दी गई। अब सरकार ने इस पूरी घटना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सी0बी0आई0 जांच के लिए अनुरोध किया है। सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि सच सामने लाने के लिए वो हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं। ये भी स्पष्ट है कि बदनाम संगठन एमनेस्टी इण्टरनेशनल से जुड़ी एक वेबसाइट जस्टिस फाॅर हाथरस बनाकर दंगे की तैयारी की गई, ताकि सरकार को बदनाम किया जा सके। इस बात के भी प्रमाण मिले हैं कि इसके लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग भी हुई और विदेशों से पैसा भी रूट हुआ।
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Wednesday, October 7, 2020
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