लखनऊ (मानवी मीडिया) सी आई आई एग्रो तथा फ़ूड टेक २०२० के उत्तर प्रदेश सत्र को संबोधित करते मुख्य अतिथि सूर्य प्रताप शाही, माननीय कृषि मंत्री, उत्तर प्रदेश ने बताया की उत्तर प्रदेश में कृषि तथा उससे सम्बंधित क्षेत्रों के लिए अपार संभावनाएं विद्यमान है | और यही कारण है की कोविद लोखड़ौन के दौरान भी उत्तर प्रदेश की आर्थिक व्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने में एहम भूमिका निभाई | उन्होंने बताया की प्रदेश में कुल ६०० लाख मीट्रिक टन कृषि उत्पादन कर प्रदेश ने देश में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है | साथ ही साथ ९० लाख मीट्रिक टन की पैदावार कर देश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है | उन्होंने यह भी बताया की यह हमारे लिए गर्व की बात है कि सम्पूर्ण लोखड़ौन के दौरान भी एक भी खाद्य प्रसंस्करण इकाई, चीनी मिल तथा फ़र्टिलाइज़र इकाई को बंद नहीं किया गया | आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर प्रदेश में कृषि उत्पादन कि अधिकता दर्ज कि गयी है जो कि प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए अच्छी खबर है | उत्तर प्रदेश सरकार कि ओडीओपी योजना के तहत वाराणसी तथा अन्य कुछ जिलों के किसान अपने कृषि उत्पादों का निर्यात यूरोपी देशों में करने सक्षम हो पाए है |
सत्र को संबोधित करते हुए आलोक सिन्हा, कृषि उत्पादन आयुक्त, उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि राज्य में कृषि उत्पादों कि उत्पादन काशमता पर्याप्त है परन्तु प्रसंस्करण कि क्षमता को बढ़ने कि आवश्यकता है | इस क्षमता को बढ़ाने हेतु विभाग विभिन्न बिंदुओं पर कार्य कर रहा है जिससे कि राज्य में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग हेतु और अधिक अनुकूल वातावरण तैयार किया जा सके | उन्होंने बताया कि माइक्रो, मेगा तथा सुपर मेगा फ़ूड पार्क्स को प्रदेश में स्थापित करने हेतु व्यापक खाद्य प्रसंस्करण नीति पर कार्य चल रहा है | साथ ही साथ मार्च २०२१ तक प्रत्येक ब्लॉक में एक FPO कि स्थापना का लक्ष्य निर्धारित किया गया है | भारत सरकार के कृषि विभाग के संयुक्त सचिव पी के स्वायं ने बताया कि उत्तर प्रदेश कि जनसँख्या का ६०% कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों में कार्यान्वित है और यही कारण है कि आपदा के समय में भी इस क्षेत्र ने आर्थिक रूप से काफी अच्छा प्रदर्शन किया है | उन्होंने कहा कि कृषि, अर्थव्यवस्था का विकास इंजन है जिसको आधुनिक अधोरचना, विकसित प्रौद्योगिकी, निजी क्षेत्र के निवेश तथा सरकारी नीति रुपी ईंधन से सींचा जाना चाहिए |
इसी श्रृंखला में किसानो को गन्ने की खेती में प्रयुक्त होने वाली नवीनताओ तथा प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल हेतु किसान गोष्टी का भी आयोजन किया गया | इस गोष्टी में भविष्योन्मुखी तकनीकों, उद्यमियता तथा इनपुट लागत को काम करने के तरीकों पर बल दिया गया | इस गोष्टी का सीधा प्रसारण प्रदेश की विभिन्न चीनी मिलों में भी किया गया