नई दिल्ली (मानवी मीडिया)- मुंबई पुलिस कमिश्नर ने आज फर्जी टीआरपी (TRP) रैकेट के भंडाफोड़ करते हुए इस मामले में तीन चैनलों के नाम आने का दावा किया। इस दावे के बाद टीवी जगत में हड़कंप मच गया। ये सारा खेल टीआरपी (TRP)को लेकर खेला गया। आइए आपको समझाते हैं इस टीआरपी (TRP) के बारे में।trp TRP का मतलब है टेलिविजन रेटिंग पॉइंट। इसके जरिए यह पता चलता है कि किसी टीवी चैनल या किसी शो को कितने लोगों ने कितने समय तक देखा। इससे यह पता चलता है कि कौन सा चैनल या कौन सा शो कितना लोकप्रिय है, उसे लोग कितना पसंद करते हैं। जिस चैनल की जितनी ज्यादा टीआरपी, उसकी उतनी ज्यादा लोकप्रियता। अभी BARC इंडिया (ब्रॉडकास्ट आडियंस रिसर्च काउंसिल इंडिया) टीआरपी को मापती है। पहले यह काम TAM करती थी। हालांकि टीआरपी का कोई वास्तविक आंकड़ा नहीं होता सिर्फ और सिर्फ यह अनुमानित आंकड़ा होता है। टीआरपी मापने वाली एजेंसी देश के अलग-अलग हिस्सों, आयु वर्ग, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले सैंपलों को चुनते हैं। कुछ हजार घरों में एक खास उपकरण जिसे पीपल्स मीटर कहा जाता है, उन्हें फिट किया जाता है। इस मीटर के द्वारा एक-एक मिनट TV की जानकारी को Monitoring Team INTAM यानी तक पहुंचा दिया जाता है. ये टीम पीपलस मीटर से मिली जानकारी को विश्लेषण या analyse करने के बाद तय करती है कि किस चैनल या प्रोग्राम की TRP कितनी है। इसको calculate करने के लिए एक दर्शक के द्वारा नियमित रूप से देखे जाने वाले प्रोग्राम और समय को लगातार रिकॉर्ड किया जाता है और फिर इस डाटा को 30 से गुना करके प्रोग्राम का एवरेज रिकॉर्ड निकाला जाता है।
यह पीपल मीटर किसी भी चैनल और उसके प्रोग्राम के बारे में पूरी जानकारी निकाल लेता है।चैनल देखने के लिए दिए जा रहे थे पैसे पीपल मीटर के जरिए यह पता चलता है कि उस टीवी सेट पर कौन सा चैनल, प्रोग्राम या शो कितनी बार और कितने देर तक देखा जा रहा है। पीपल मीटर से जो जानकारी मिलती है, एजेंसी उसका विश्लेषण कर टीआरपी तय करती है। पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने बताया कि ''टीआरपी को मापने के लिए BARC एक संस्था है। यह अलग-अलग शहरों में बैरोमीटर लगाते हैं, देश में करीब 30 हजार बैरोमीटर लगाए गए हैं। मुंबई में करीब 10 हजार बैरोमीटर लगाए गए हैं। बैरोमीटर इंस्टॉल करने का काम मुंबई में हंसा नाम की संस्था को दिया गया था। जांच के दौरान ये बात सामने आई है कि कुछ पुराने वर्कर जो हंसा के साथ काम कर रहे थे टेलीविजन चैनल से डाटा शेयर कर रहे थे। वो लोगों से कहते थे कि आप घर में हैं या नहीं है चैनल ऑन रखिए। इसके लिए पैसे देते थे, कुछ व्यक्ति जो अनपढ़ हैं, उनके घर में अंग्रेजी के चैनल ऑन किया जाता था।' मुंबई पुलिस का दावा है कि, जिन हाउसहोल्ड्स को पैसे दिए गए थे उन कस्टमर्स ने भी पूछताछ में यह स्वीकार किया कि उनको कुछ विशेष चैनलों को देखने के लिए पैसा दिया गया था। मुंबई पुलिस के मुताबिक करीब 2000 घरों में ये खेल चल रहा था और हर घर को 400 से 500 रुपये के हिसाब से भुगतान किया जा रहा था। पुलिस कमिश्नर ने कहा कि हमें संदेह है कि अगर मुंबई में ऐसा हो रहा था तो यह देश के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है।