मुजफ्फरपुर (मानवी मीडिया): बिहार के मुजफ्फरपुर का वो जगह, जिसे एक समय में कभी तहजीब का मंदिर कहा जाता था। यहाँ बड़े बड़े राजा-महाराजा अपने बच्चों को तहजीब सिखाने के लिए यहां भेजा करते थे। कला और हुनर की कद्र हुआ करती थी, लेकिन आज के समय में इस क्षेत्र पर बदनामी का दाग लगा हुआ। हुनर और कला के मंदिर न जाने कब देह व्यापार के अड्डों में बदल गए। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं, जिले के शुक्ला रोड के चतुर्भुज स्थान की। यहां रहने वाले करीब दो हजार परिवार इस बदनामी को साथ लेकर जी रहे हैं। मुजफ्फरपुर के रेड लाइट एरिया चतुर्भुज स्थान बदहाली पर बहा रहा आंसू. मुजफ्फरपुर में सबसे बड़ा और सबसे पुराना रेड लाइट एरिया जिसे चतुर्भुज स्थान के नाम से जानते हैं, वहां का इतिहास बेहद गौरवशाली रहा है। बताया जा रहा है कि इस क्षेत्र के पश्चिमी छोर पर चार भुजाओं वाले भगवान का मंदिर है, जिसकी वजह से इस जगह को चतुर्भुज स्थान कहते हैं। सड़क के पूर्वी छोर पर गरीब स्थान मंदिर है। ये भगवान शिव का मंदिर है और सावन में यहां बहुत बड़ा मेला लगता है।
मुजफ्फरपुर कभी तहजीब का मंदिर हुआ करती थीं ये गलियां, आज गुजरने में आती है शर्म - इन दो मंदिरों के बीच आबाद हैं वो ढाई हजार परिवार, जिनके पूर्वज कभी कला के उपासक माने जाते थे। कहा जाता है कि बड़े से बड़े राजा-महाराजा अपने बच्चों को तहजीब सिखाने के लिए यहां शिक्षा के लिए भेजते थे। आज वही चतुर्भुज स्थान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। वर्तमान में ये क्षेत्र देह व्यापार का अड्डा बन गया। चतुर्भुज स्थान को 'रेड लाइट' एरिया कहा जाने लगा। मुजफ्फरपुर के चतुर्भुज स्थान में कोई मदद के लिए आना तो दूर, संभ्रांत समाज इस ओर देखना भी पसंद नहीं करता है। कोरोना के कारण धंधा करने वालों का काम पूरी तरह से ठप है। यहां रहने वाले करीब 2000 हजार परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।