हाथरस के बाद -----. संपादकीय. - मानवी मीडिया

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Saturday, October 3, 2020

हाथरस के बाद -----. संपादकीय.

हाथरस में एक लडक़ी के साथ हुए सामूहिक बलात्कार की दर्दनाक घटना को लेकर उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में रोष है और योगी सरकार कटघरे में खड़ी दिखाई दे रही है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में एक और लडक़ी के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई है। इसमें लडक़ी की कमर व गर्दन भी तोड़ दी गई तथा नशे का टीका लगा रिक्शा पर बिठा उसे उसके घर भेज दिया गया, जहां कुछ समय बाद उसकी मौत हो गई। मृतक युवती की मां का आरोप है कि उसकी बेटी को इंजैक्शन लगाकर हैवानियत की गई जिस कारण वह कुछ भी बोल नहीं पा रही थी। वह सिर्फ इतना कह पाई-बहुत दर्द है...अब मैं बचूंगी नहीं। हालांकि बलरामपुर एस.पी. देव रंजन वर्मा ने कहा कि हाथ-पैर और कमर तोडऩे वाली बात सही नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि नहीं हुई है। मामले में दो आरोपियों शाहिद और साहिल को गिरफ्तार कर लिया गया है। युवती के परिजनों का आरोप है कि 22 साल की दलित छात्रा 29 सितम्बर की सुबह करीब 10 बजे बी.कॉम में एडमिशन कराने घर से निकली थी लेकिन घर नहीं लौटी। शाम को करीब 5 बजे उसकी खोजबीन शुरू हुई।करीब 7 बजे शाम को पीडि़त युवती एक रिक्शे से बुरी तरह से घायल अवस्था में घर पहुंची। उसकी यह हालत देखकर घरवालों ने पूछताछ करने की कोशिश की तो वह दर्द से कराहने लगी। गांव के दो डॉक्टरों को दिखाने के बाद परिजन उसे जिला मुख्यालय पर इलाज कराने के लिए लेकर रवाना हुए लेकिन कुछ दूरी पर ही छात्रा की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि जब छात्रा घर पहुंची तो कीचड़ से लथपथ थी और उसके हाथ में ग्लूकोज चढ़ाने वाला वीगो लगा था। परिजनों ने जब गांव में पता करने की कोशिश की तो पता चला कि गांव के ही एक डॉक्टर को गांव के ही एक लडक़े ने एक घर में युवती के इलाज के लिए बुलाया था। परिजनों ने आरोप लगाया कि जब युवती पचपेड़वा के विमला विक्रम महाविद्यालय में एडमिशन कराकर लौट रही थी तो गांव के ही 5 से 6 लडक़ों ने उसका अपहरण कर लिया और गांव के ही एक घर में ले जाकर गैंगरेप किया। जिस रिक्शे पर युवती को घर पहुंचाया गया, उस पर खून के धब्बे और रास्ते में उसकी जूती भी पाई गई है। मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संयुक्त जिला चिकित्सालय स्थित पोस्टमार्टम हाऊस में करीब 6 घंटे तक युवती का पोस्टमार्टम 4 डाक्टरों के पैनल ने किया। देर शाम युवती का शव परिजनों को सौंपा गया। सूत्रों की मानें तो गैंगरेप के बाद युवती के आंतरिक और बाहरी अंगों में काफी चोटें आईं जिसके कारण उसकी मौत हुई।    हाथरस सामूहिक बलात्कार पीडि़ता के परिवार ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस ने तडक़े उसका अंतिम संस्कार करने के लिए उन्हें मजबूर किया। पीडि़ता के पिता अनुसार अंतिम संस्कार तडक़े करीब ढाई से तीन बजे के बीच किया गया। लडक़ी के एक भाई ने कहा, पुलिस शव को अंतिम संस्कार के लिए जबरन ले गई। वे लोग मेरे पिता को भी साथ ले गए थे। जैसे ही मेरे पिता हाथरस पहुंचे, पुलिस उन्हें फौरन ही श्मशान घाट ले गई। एक अन्य परिजन ने कहा कि लड़क़ी के पिता के साथ 30 से 40 लोग श्मशान घाट गए थे। इसमें मुख्य रूप से सगे-संबंधी और आस पड़ोस के अन्य लोग थे। एक अधिकारी ने बताया कि वहां आधी रात को पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी थे। सोशल मीडिया पोस्ट पर किए गए वहां के कथित वीडियो के मुताबिक कुछ पुलिस कर्मी दंगा रोधी वेस्ट और हेलमेट पहने हुए थे। शोकाकुल परिवार के साथ घर पर मौजूद रिश्तेदार ने कहा, हम यह समझने में नाकाम रहे हैं कि वे लोग क्या चाहते हैं... यह किस तरह की राजनीति है? वे लोग यह बयान दे रहे हैं कि लडक़ी से बलात्कार नहीं हुआ था। वे मामले की लीपापोती करने के लिए यह सब कर रहे हैं।हाथरस और बलरामपुर में जिस तरह की दरिंदगी सामने आई है वह निंदनीय व चिंता का विषय है। ऐसी घटनाएं उत्तर प्रदेश में पहले भी देखने को मिली हैं। उत्तर प्रदेश ही क्यों ऐसे घिनौने कांड दिल्ली, राजस्थान, पंजाब व हरियाणा सहित देश के अन्य प्रदेशों में भी सामने आए हैं। ऐसे मामलों में जातिवाद के साथ-साथ सामंतवादी सोच बड़ी भूमिका निभाती है। ऐसे मामलों में पीडि़ता व पीडि़त परिवारों को इंसाफ शायद तभी मिलता है जब मुद्दे का राजनीतिकरण होने लगता है। वरना स्थानीय प्रशासन की कोशिश सारे मामले को रफा-दफा करने की ही होती है। ऐसे कांडों का होना और उस पर लीपापोती करना दोनों दुर्भाग्यपूर्ण है।सामूहिक बलात्कार कहीं भी हो उससे समाज शर्मसार ही होता है और कानून व्यवस्था की पोल भी खुलती है तथा पुरुष का पशु वाला चेहरा भी सामने आता है। पुरुष के अंदर छिपी राक्षस वृत्ति पर काबू पाने के लिए कानून का सख्त होना व न्याय प्रक्रिया का तेज होना आवश्यक है। स्थानीय प्रशासन की उपरोक्त मामलों में दर्शायी लापरवाही या उदासीनता तथा धीमी न्याय प्रक्रिया के कारण मुजरिम लाभ वाली स्थिति में रहते हैं और कानून को अपने हाथ लेते समय उन्हें कोई भय नहीं होता। हाथरस और बलरामपुर में दरिंदों ने जिस तरह दरिंदगी दिखाई है उससे सिर शर्म से झुक जाता है।योगी सरकार ने जांच के लिए विशेष दल का गठन किया है। हाथरस पीडि़ता के परिवार को 25 लाख रुपए सहायता राशि व सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया है। इसके साथ-साथ मुजरिमों को सख्त से सख्त सजा मिले यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। हाथरस के बाद बलरामपुर में हुआ सामूहिक बलात्कार योगी सरकार के लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए। योगी सरकार को दोनों मामलों में दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिले और पीडि़त परिवार को अधिक से अधिक मदद व न्याय मिले, यह बात सुनिश्चित करनी चाहिए। स्थानीय प्रशासन को भी मानवीय दृष्टि से अपना कत्र्तव्य व कर्म करना चाहिए। सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर राजनीतिक रोटियां सेकना भी नैतिक दृष्टि से उचित नहीं।- 


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