नॉर्वे (मानवी मीडिया) नोबेल शांति पुरस्कार की आज घोषणा कर दी गई। इस बार शांति पुरस्कार वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के नाम जारी किया गया। नोबल शांति पुरस्कार उस शख्सीयत को दिया जाता है जिसने दुनियाभर में शांति के क्षेत्र में बहुत ही प्रभावशाली काम किया होता है।
नोबेल पुरस्कार समिति ने अवॉर्ड का ऐलान करते हुए कहा कि वर्ल्ड फूड प्रोग्राम जिस तरह से भूख के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ रही है, उससे वह इसकी हकदार है। समिति ने संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में शांति के लिए बेहतर स्थिति में योगदान और युद्ध के हथियार के रूप में भूख के उपयोग को रोकने के लिए और भूख से निपटने के लिए अपने प्रयासों के लिए WFP के प्रयासों की सराहना की।
नोबेल कमेटी की अध्यक्ष बेरिट राइस एंडर्सन ने बताया कि साल 2019 में 88 देशों के करीब 10 करोड़ लोगों तक वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की सहायता पहुंची। डब्ल्यूएफपी दुनिया भर में भूख को मिटाने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा संगठन है। कोरोना के दौर में इस संगठन का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है। ओस्लो के नोबेल इंस्टीट्यूट में आमतौर पर शांति पुरस्कार की घोषणा पर उमड़ने वाली भारी भीड़ नदारद थी। कोरोना महामारी के कारण इस बार रिपोर्टरों की संख्या में भारी कमी रही।
विश्व खाद्य कार्यक्रम भुखमरी मिटाने और खाद्य सुरक्षा पर केन्द्रित संयुक्त राष्ट्र एजेंसी है। विश्व भर में आपातस्थितियों में इसका काम यह देखना है कि जरूरतमंदों तक खाद्य सामग्री पहुंचे। विशेषकर गृह युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं में। भारत में विश्व खाद्य कार्यक्रम अब सीधे खाद्य सहायता प्रदान करने के बजाय भारत सरकार को तकनीकी सहायता और क्षमता निर्माण सेवाएं प्रदान करता है।