भीमा-कोरेगांव केस में एक और गिरफ्तारी, 83 साल के फादर स्टैन स्वामी को NIA ने किया अरेस्ट       - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Friday, October 9, 2020

भीमा-कोरेगांव केस में एक और गिरफ्तारी, 83 साल के फादर स्टैन स्वामी को NIA ने किया अरेस्ट      

नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में गुरुवार की रात फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार कर लिया। एनआईए के एसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में टीम गुरुवार रात तकरीबन 8 बजे फादर स्टेन स्वामी के बगइचा स्थित आवास पहुंची थी। मौके पर एनआईए के अधिकारियों ने फादर स्टेन को अपने साथ धुर्वा स्थिति एनआईए कैंप आफिस चलने को कहा। उम्र ज्यादा होने और स्वास्थ्य ठीक नहीं होने की बात कह फादर स्टेन ने एनआईए टीम के साथ जाने से इनकार कर दिया। ऐसे में एनआईए की टीम स्टेन स्वामी के साथ उनके करीबी सोलोमन डेविड को भी रात में देखभाल के लिए साथ ले गयी  संभव है कि शुक्रवार को फादर को NIA कोर्ट में पेश किया जाएगा। उनको रिमांड पर भी लिया जा सकता है या फिर ट्रांजिट रिमांड पर उन्हें दिल्ली ले जाया जा सकता है। जानकारी के अनुसार, 1 जनवरी, 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक पार्टी के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हुई हिंसा मामले में NIA ने फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया गया है। मूल रूप से केरल के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी करीब पांच दशक से झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में काम कर रहे हैं।


इस गिरफ्तारी का विरोध शुरू हो गया है। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने एक ट्वीट कर कहा कि 'फादर स्टैन ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने में लगाई है। इसलिए यह मोदी सरकार ऐसे लोगों को चुप करा रही है क्योंकि इस सरकार के लिए कोल माइन कंपनियों का फायदा आदिवासियों की जिंदगी और रोजगारा से ज्यादा जरूरी है।'स्टेन स्वामीबता दें कि इस केस में अब तक की बड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और वकीलों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जो अपने ट्रायल का इंतजार कर रहे हैं। कई बीमारियों से जूझ रहे स्टैन स्वामी, इस केस में गिरफ्तार होने वाले सबसे उम्रदराज शख्स हैं। उनसे इस सिलसिले में पहले भी कई बार पूछताछ की जा चुकी है।यह केस 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक कार्यक्रम में हिंसा भड़क गई थी, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जांचकर्ताओं का कहना है कि एल्गार परिषद में मिले कार्यकर्ताओं ने इसके लिए साजिश रची थी और भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके चलते अगले दिन हिंसा हुई थी।


Post Top Ad