पांचवे दिन भी सिपाही आशुतोष की मौत से नही उठ सका रहस्य का पर्दा - मानवी मीडिया

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Monday, September 28, 2020

पांचवे दिन भी सिपाही आशुतोष की मौत से नही उठ सका रहस्य का पर्दा

प्रतापगढ़ (मानवी मीडिया) लालगंज  कोतवाली की बैरिक मे एके 47 से गोली मार कर आत्महत्या करने वाले सिपाही आशुतोष यादव की मौत का मामला पाॅचवे दिन भी सुलझता नही दिखा है। सर्विलान्स टीम को अभी मृतक सिपाही की काॅल डिटेल खंगालने मे माथा पच्ची मे देखा जा रहा है। सूत्रो के मुताबिक मृतक सिपाही के फोन से कुछ संदिग्ध नंबरो का टीम व्यौरा अभी नही जुटा सकी है। वही सोमवार को एक सवाल यह भी सामने आया है कि मौत के कुछ देर पहले आशुतोष की कोतवाल के हमराह मे प्रायः बने रहने वाले एक खासमखास सिपाही से फोन पर बात हुई थी। मृतक ने साथी सिपाही से हमराह डयूटी मे साथ चलने की बात कही तो साथी सिपाही ने तबियत खराब होने की बात कहकर टाल दिया। इसी बीच सूत्र बताते है कि मृतक किसी से मोबाइल पर बात कर रहा था तो साथी सिपाही ने कुछ टोका तो मृतक सिपाही भडक गया। हालांकि हमराह सिपाही का कहना है कि आशुतोष घर से आने के बाद बराबर गुमसुम रहता था। कारण पूछने पर वह बात को टाल दिया करता था। मृतक सिपाही ने यदि खुद को गोली मार ली और कोतवाली की बैरिक मे चली गोली की आवाज कैसे लोगो को नही सुनायी पडी। मृतक सिपाही के गृह जनपद गाजीपुर मे भी उसकी मौत को परिजन आत्महत्या नही मान रहे। ऐसे मे यह भी सवाल है कि कैसे बैरिक मे घटना के दिन वह भी दिन दहाडे और कोई पुलिस कर्मी मौजूद नही था। जिले के एएसपी दिनेश द्विवेदी का कहना है जांच अधिकारी सीओ लालगंज जगमोहन को जांच मे तेजी लाये जाने के निर्देश दिये गये है। हालांकि सीओ जगमोहन सोमवार को भी घटना की जांच का कोई क्लू खोज नही पाये। वही चर्चा यह भी है कि अपने ही विभाग मे हादसे को लेकर जांच की गति क्यो कच्छप चाल मे है। आखिर जांच अधिकारी किसको बचाना चाहते है। क्योकि अन्य घटनाओ मे वह चाहे आत्महत्या की हो या फिर हत्या की, पुलिस बाल मे खाल निकालने के लिए पूछताछ मे जुट जाया करती है। और आज खुद के घर मे इतना बडा काण्ड हो गया तो जांच अधिकारी अभी तक हाथ पर हाथ धरे बैठे ही दिख रहे है। सूत्र बताते है कि अभी तक एके 47 कैसे मृतक सिपाही बैरिक ले जा सका और उसकी मौत के कई घण्टे न तो एके 47 की तलाश करने की किसी को जरूरत महसूस हुई और न ही कोतवाल जैसे जिम्मेदार अफसर के साथ हमराह डयूटी में लगे आरक्षी की ही तलाश करने की जरूरत समझी गयी। यही नही यदि हमराह डयूटी के दूसरे सिपाही ने खुद की तबियत खराब होने की बात कही तो आखिर वह कहा आराम कर रहा था। मृतक सिपाही के परिजन भी इन्ही सब कारणो से अपने अविवाहित युवा बेटे की मौत को शायद आत्महत्या नही स्वीकार कर पा रहे है। जो भी हो कोतवाली बैरिक मे गोली से सिपाही की मौत को लेकर बेल्हा की खाकी का मुह न खोलना आम लोगो मे मौत का अब संशय देने लगी है


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