वाराणसी(मानवी मीडिया): वाराणसी की गंगा नसी में हजारों किलोमीटर दूर साउथ अमेरिका के अमेजॉन नदी में पाई गई है। सकर माउथ कैटफिश का गंगा नदी में मिलना जितना ज्यादा आश्चर्यजनक है, उतनी ही चिंता भरी बात भी है। मछली के मिलने से वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह मछली मांसाहारी है और अपने इकोसिस्टम के लिए खतरा भी है। यूं तो नदियां अपनी गहराइयों में कई राज और रहस्य को समेटे रहती हैं, लेकिन वाराणसी के रामनगर के रमना गांव नदी में डॉल्फिन के संरक्षण और बचाव के लिए लगी गंगा प्रहरियों की टीम को उस वक्त एक मछली के रूप में अजूबा हाथ लगा जो गंगा नदी ही नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान और साउथ एशिया तक में भी नहीं मिलती है।
भारतीय वन्य जीव संस्थान और नमामि गंगे योजना से जुड़े जलीय जीव संरक्षण के लिए काम करने वाले गंगा प्रहरी दर्शन निषाद ने बताया कि डॉल्फिन के संरक्षण के दौरान ही उनको दूसरी बार यह अजीब मछली मिली है। पहली बार गोल्डन रंग की मछली मिली थी जिसकी पहचान भारतीय वन्य जीव संस्थान ने अमेरिका की अमेजॉन नदी में पाए जाने वाले सकरमाउथ कैटफिश के रूप में की थी, एक बार फिर यह मछली मिली है। इस मामले में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि गंगा के पारिस्थितिकी तंत्र का यह मछली विनाश कर सकती है। वैज्ञानिकों ने सलाह भी दी कि इस मछली को गंगा में पाए जाने पर फिर से न छोड़ा जाए।