नई दिल्ली (मानवी मीडिया): वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ वोडाफोन रेट्रो टैक्स केस जीत कर सरकार को बड़ा झटका दिया है। जी हां टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन ने भारत सरकार के खिलाफ 20,000 करोड़ रुपए का रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स का केस जीत लिया है। द हॉग कोर्ट ने शुक्रवार को भारत सरकार के खिलाफ सुनाए गए फैसले में कहा कि भारतीय टैक्स डिपार्टमेंट ने निष्पक्ष और बराबरी से काम नहीं किया है। बता दें कि हॉग की अदालत में वोडाफोन की तरफ से डीएमडी पैरवी कर रही थी। भारत सरकार और वोडाफोन के बीच यह मामला 20,000 करोड़ रुपए के रेट्रोस्पेक्टिव (पूर्व प्रभावी) टैक्स को लेकर था। वोडाफोन और सरकार के बीच कोई सहमति ना बन पाने के कारण 2016 में कंपनी ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का रूख किया था। जहां आज उसके हक में फैसला आया है। क्या है मामला वोडाफोन ने साल 2007 में हांगकांग के हचिसन ग्रुप के मालिक Hutchison Whampoa के मोबाइल बिजनेस हचिसन-एस्सार में 11 अरब डॉलर में 67 फीसदी की हिस्सेदारी खरीदी थी। वोडाफोन ने अपनी नीदरलैंड और केमैन आईलैंड में स्थित कंपनियों के जरिए ये हिस्सेसदारी खरीदी थी। इस डील को लेकर भारतीय इनकम टैक्स डिपार्टमेंट वोडाफोन से कैपिटल गेन टैक्स की मांग कर रहा था. इसके कुछ समय बाद रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स भी मांगा गया। कुलमिलाकर साल 2007 में हुई इस डील को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट लगातार विदहोल्डिंग टैक्स की डिमांड कर रहा था। आखिर में थक-हारकर वोडाफोन ने साल 2012 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की वोडाफोन से 3 जनवरी 2013 को 14,200 करोड़ रुपए के टैक्स (बिना पेनाल्टी के) की मांग की गई। वोडाफोन ने 2014 में इस फैसले को चुनौती दी और जब दोनों पक्षों के बीच सहमति नहीं बन पाई तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कंपनी को 22,100 करोड़ रुपए का टैक्स नोटिस भेज दिया। ये भी कहा गया कि टैक्स न भरने पर वोडाफोन की भारत में स्थित संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
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Friday, September 25, 2020
भारत सरकार को तगड़ा झटका 20,000 करोड़ के टैक्स विवाद में वोडाफोन ने जीता केस
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