सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, इंसान को अपनी गलती का अहसास होना चाहिए प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट-फैसला सुरक्षित,********************** बुधवार 26 अगस्त2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय की अवमानना मामले में सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अपना फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, “हम मामले में फैसला सुरक्षित रखते हैं। हमने सारी दलीलें सुनी। सभी संबंधित पक्षों, याचिकाकर्ता और प्रतिवादी की दलीलें सुनी गईं।”इस दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से भूषण को न्यायालय की अवमानना मामले में सजा नही देने और चेतावनी देकर छोड़ देने की अपनी अपील दोहराई। वेणुगोपाल ने शीर्ष न्यायालय से अपील की, “उच्चतम न्यायालय उन्हें (श्री भूषण) चेतावनी दे, सजा न दे।” करीब दो घंटे तक चली इस सुनवाई के दौरान भूषण के वकील राजीव धवन ने न्यायालय से कहा, “ अगर उच्चतम न्यायालय उन्हें (श्री भूषण) सजा देता है तो विवाद और बढ़ जाएगा। एक समूह भूषण को शहीद बता रहा है और दूसरा समूह कह रहा है कि उन्हें उचित दंड दिया जा रहा है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सजा पर सुनवाई 10 सिंतबर तक टाल दी है। शीर्ष न्यायालय ने सुनवाई के बाद भूषण को दी जाने वाली सजा को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। भूषण को मामले में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इससे पहले 14 अगस्त को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व में शीर्ष न्यायालय की एक पीठ ने श्री भूषण को उनके ट्वीट के लिए न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के पिछले छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जुलाई को शीर्ष न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇 - मानवी मीडिया

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Wednesday, August 26, 2020

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, इंसान को अपनी गलती का अहसास होना चाहिए प्रशांत भूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट-फैसला सुरक्षित,********************** बुधवार 26 अगस्त2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया)-उच्चतम न्यायालय ने न्यायालय की अवमानना मामले में सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ अपना फैसला मंगलवार को सुरक्षित रख लिया। न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, “हम मामले में फैसला सुरक्षित रखते हैं। हमने सारी दलीलें सुनी। सभी संबंधित पक्षों, याचिकाकर्ता और प्रतिवादी की दलीलें सुनी गईं।”इस दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से भूषण को न्यायालय की अवमानना मामले में सजा नही देने और चेतावनी देकर छोड़ देने की अपनी अपील दोहराई। वेणुगोपाल ने शीर्ष न्यायालय से अपील की, “उच्चतम न्यायालय उन्हें (श्री भूषण) चेतावनी दे, सजा न दे।” करीब दो घंटे तक चली इस सुनवाई के दौरान भूषण के वकील राजीव धवन ने न्यायालय से कहा, “ अगर उच्चतम न्यायालय उन्हें (श्री भूषण) सजा देता है तो विवाद और बढ़ जाएगा। एक समूह भूषण को शहीद बता रहा है और दूसरा समूह कह रहा है कि उन्हें उचित दंड दिया जा रहा है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा इंसान को अपनी गलती का एहसास होना चाहिए, हमने भूषण को समय दिया, लेकिन उनका कहना है कि वह माफी नहीं मांगेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सजा पर सुनवाई 10 सिंतबर तक टाल दी है। शीर्ष न्यायालय ने सुनवाई के बाद भूषण को दी जाने वाली सजा को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। भूषण को मामले में पहले ही दोषी ठहराया जा चुका है। इससे पहले 14 अगस्त को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा के नेतृत्व में शीर्ष न्यायालय की एक पीठ ने श्री भूषण को उनके ट्वीट के लिए न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण ने 27 जून को न्यायपालिका के पिछले छह वर्ष के कामकाज को लेकर एक टिप्पणी की थी, जबकि 22 जुलाई को शीर्ष न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर दूसरी टिप्पणी की थी। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇


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