नौकरी ढूंढने में बेहद मददगार साबित हो रहे ये Apps, यहां देखें , ********************** सोमवार 24 अगस्त 2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : कोरोना महामारी के बीच किए गए देशव्‍यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए हैं। इस लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर पड़ा है। आमदनी शून्य है और सरकारी मदद अपर्याप्त। ऐसे में उन्हें फिर से रोजगार के लिए अपना घर छोड़ना पड़ रहा है। लेकिन, समस्या यह भी है कि लॉकडाउन में उद्योगों का कारोबार भी बिल्कुल ठप हो गया, इसलिए कई उद्योग उतनी संख्या में लोगों को रखने में सक्षम नहीं हैं जितनी संख्या में वो लॉकडाउन से पहले रखा करते थे। यानी, रोजगार के अवसरों की कमी हो गई है। संकट की इस घड़ी में कई ऐप्स और वेबसाइट प्रवासियों की मदद को आगे आए हैं। ये ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स रोजगार तलाश करने वालों (एंप्लॉयी) और रोजगार देने वालों (एंप्लॉयर) के बीच कड़ी का काम कर रहे हैं।बिहार में गोपालगंज के 19 वर्षीय अभिजीत कुमार को एक ऐसी ही वेबसाइट का सहारा मिला। वो पटना के एक मॉल में काम करते थे जो लॉकडाउन के कारण बंद पड़ा है। घर में मां बीमार और पिता की नौकरी भी चली गई तो अभिजीत के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया। तब उनके मित्रों ने जॉब्सगार के बारे में बताया। अभिजीत इस वेबसाइट से जुड़े और जुलाई में उन्हें अपने घर से मात्र 7 किमी दूरी पर एक मोटरबाइक कंपनी में ग्राफिक आर्टिस्ट की नौकरी मिल गई। अभिजीत को अभी 12 हजार रुपये प्रति माह मिल रहे हैं, पटना में मॉल की सैलरी से भी ज्यादा। घर के नजदीक होने के कारण कमरे का किराया और खाने के अतिरिक्त खर्च के रूप में हर महीने चार हजार रुपये की बचत भी हो रही है। अब वो कहते हैं कि पटना की नौकरी छूट गई, अच्छा ही हुआ। जॉब्सगार लोगों को उनके घरों से 100 किमी के अंदर ही रोजगार दिलवाता है। यह ब्लू कॉलर और ग्रे कॉलर (स्किल्ड टेक्निशियंस) वर्करों को रोजगार मुहैया कराने का प्लैटफॉर्म है। इसके फाउंडर अतुल प्रताप सिंह कहते हैं, 'हमें लगा कि वर्कर्स दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों का रुख करते हैं। उधर, पेट्रोल पंपों, इंश्योरेंस कंपनियों, बैंकिंग ऑपरेशन, रिटेल शॉप आदि में लोगों की भारी मांग होती है जिसे पूरा नहीं किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि जॉब्सगार में पहली बार कानपुर के एक एंप्लॉयर ने 8,000 रुपये की नौकरी ऑफर की। उसे टायर पंक्चर असिस्टेंट की जरूरत थी। यह प्लैटफॉर्म यूपी, बिहार और असम के लोगों को केंद्र में रखकर बनाया गया है। यहां पिछले 45 दिनों में 10 हजार लोग रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं।बता दें कि ILO-ADB स्टडी में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख भारतीय युवा बेरोजगार हो गए। इनकी मदद को आगे आया एक प्लैटफॉर्म है- अपना ऐप (apna app) जो ब्लू कॉलर वर्करों (मजदूर और कर्मचारी स्तर की नौकरियां करने वालों) के लिए लिंक्डइन (LinkedIn) की तरह काम करता है। इसके संस्थापक निरमित पारीख कहते हैं, 'ब्लू कॉलर वर्करों के पास अक्सर कोई बायो डेटा नहीं होता है, लेकिन उनके पास कौशल जरूर होता है।' इसिलए अपना ऐप ने ऐसे लोगों को प्लैटफॉर्म पर रजिस्टर करके एंप्लॉयर से डायरेक्ट संपर्क करने की मौका दिया है।फरवरी में लॉन्च हुए अपना ऐप के अभी 15 लाख रजिस्टर्ड यूजर हैं। इस प्लैटफॉर्म का दावा है कि पिछले 30 दिनों इने 12 लाख लोगों का इंटरव्यू करवाया है। यहां मुंबई, पुणे, दिल्ली और बेंगलुरु से अलग-अलग तरह की 90 हजार नौकरियां उपलब्ध हैं। शेडोफै्कस (Shadowfax), देल्हीवेरी (Delhivery), एलआईसी (LIC), बायजूज (Byju’s), अनअकैडमी (Unacademy) और शादी.कॉम (Shaadi.com) जैसी कंपनियां यहां रजिस्टर्ड लोगों को नौकरी दे रही हैं। वहीं वेब पोर्टल टीमलीज (Teamlease)के मुताबिक, अनलॉक 1 के बाद से ब्लू कॉलर हायरिंग में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।उधर, कोरोना के आफतकाल में गरीबों को मसीहा के तौर पर उभरे अभिनेता सोनू सूद ने विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों अपने खर्चे पर घर भेजने की जिम्मेदारी उठाई और अब उन्हें फिर से रोजगार दिलाने का संकल्प पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जुलाई में प्रवासी रोजगार पोर्टल लॉन्च किया। इस प्लैटफॉर्म पर अभी तीन लाख जॉब ऑपनिंग्स हैं। यहां एलऐंडटी (L&T), टाटा मोटर्स (Tata Motors), वेलस्पन (Welspun) और मकीनो ऑटो (Makino Auto) जैसी कंपनियां हायरिंग ऑफर्स दे रही हैं। प्लैटफॉर्म के जरिए 1.09 लाख नौकरियों के लिए एंप्लॉयर और एंप्लॉयी की बातचीत फाइनल स्टेज में है। वहीं, 20 हजार इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। प्रवासी रोजगार का अपना ऐप भी है। खास बात यह है कि यह प्लैटफॉर्म लोगों को नए तरह की स्किल या ज्यादा दक्षता प्रदान करवाती है। इसके लिए उसने स्थानीय संस्थानों से टाइ अप कर रखा है। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇 - मानवी मीडिया

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Monday, August 24, 2020

नौकरी ढूंढने में बेहद मददगार साबित हो रहे ये Apps, यहां देखें , ********************** सोमवार 24 अगस्त 2020 | नई दिल्ली (मानवी मीडिया) : कोरोना महामारी के बीच किए गए देशव्‍यापी लॉकडाउन के दौरान लाखों लोग एक झटके में बेरोजगार हो गए हैं। इस लॉकडाउन का असर सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों पर पड़ा है। आमदनी शून्य है और सरकारी मदद अपर्याप्त। ऐसे में उन्हें फिर से रोजगार के लिए अपना घर छोड़ना पड़ रहा है। लेकिन, समस्या यह भी है कि लॉकडाउन में उद्योगों का कारोबार भी बिल्कुल ठप हो गया, इसलिए कई उद्योग उतनी संख्या में लोगों को रखने में सक्षम नहीं हैं जितनी संख्या में वो लॉकडाउन से पहले रखा करते थे। यानी, रोजगार के अवसरों की कमी हो गई है। संकट की इस घड़ी में कई ऐप्स और वेबसाइट प्रवासियों की मदद को आगे आए हैं। ये ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स रोजगार तलाश करने वालों (एंप्लॉयी) और रोजगार देने वालों (एंप्लॉयर) के बीच कड़ी का काम कर रहे हैं।बिहार में गोपालगंज के 19 वर्षीय अभिजीत कुमार को एक ऐसी ही वेबसाइट का सहारा मिला। वो पटना के एक मॉल में काम करते थे जो लॉकडाउन के कारण बंद पड़ा है। घर में मां बीमार और पिता की नौकरी भी चली गई तो अभिजीत के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया। तब उनके मित्रों ने जॉब्सगार के बारे में बताया। अभिजीत इस वेबसाइट से जुड़े और जुलाई में उन्हें अपने घर से मात्र 7 किमी दूरी पर एक मोटरबाइक कंपनी में ग्राफिक आर्टिस्ट की नौकरी मिल गई। अभिजीत को अभी 12 हजार रुपये प्रति माह मिल रहे हैं, पटना में मॉल की सैलरी से भी ज्यादा। घर के नजदीक होने के कारण कमरे का किराया और खाने के अतिरिक्त खर्च के रूप में हर महीने चार हजार रुपये की बचत भी हो रही है। अब वो कहते हैं कि पटना की नौकरी छूट गई, अच्छा ही हुआ। जॉब्सगार लोगों को उनके घरों से 100 किमी के अंदर ही रोजगार दिलवाता है। यह ब्लू कॉलर और ग्रे कॉलर (स्किल्ड टेक्निशियंस) वर्करों को रोजगार मुहैया कराने का प्लैटफॉर्म है। इसके फाउंडर अतुल प्रताप सिंह कहते हैं, 'हमें लगा कि वर्कर्स दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों का रुख करते हैं। उधर, पेट्रोल पंपों, इंश्योरेंस कंपनियों, बैंकिंग ऑपरेशन, रिटेल शॉप आदि में लोगों की भारी मांग होती है जिसे पूरा नहीं किया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि जॉब्सगार में पहली बार कानपुर के एक एंप्लॉयर ने 8,000 रुपये की नौकरी ऑफर की। उसे टायर पंक्चर असिस्टेंट की जरूरत थी। यह प्लैटफॉर्म यूपी, बिहार और असम के लोगों को केंद्र में रखकर बनाया गया है। यहां पिछले 45 दिनों में 10 हजार लोग रजिस्ट्रेशन कर चुके हैं।बता दें कि ILO-ADB स्टडी में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी के कारण 41 लाख भारतीय युवा बेरोजगार हो गए। इनकी मदद को आगे आया एक प्लैटफॉर्म है- अपना ऐप (apna app) जो ब्लू कॉलर वर्करों (मजदूर और कर्मचारी स्तर की नौकरियां करने वालों) के लिए लिंक्डइन (LinkedIn) की तरह काम करता है। इसके संस्थापक निरमित पारीख कहते हैं, 'ब्लू कॉलर वर्करों के पास अक्सर कोई बायो डेटा नहीं होता है, लेकिन उनके पास कौशल जरूर होता है।' इसिलए अपना ऐप ने ऐसे लोगों को प्लैटफॉर्म पर रजिस्टर करके एंप्लॉयर से डायरेक्ट संपर्क करने की मौका दिया है।फरवरी में लॉन्च हुए अपना ऐप के अभी 15 लाख रजिस्टर्ड यूजर हैं। इस प्लैटफॉर्म का दावा है कि पिछले 30 दिनों इने 12 लाख लोगों का इंटरव्यू करवाया है। यहां मुंबई, पुणे, दिल्ली और बेंगलुरु से अलग-अलग तरह की 90 हजार नौकरियां उपलब्ध हैं। शेडोफै्कस (Shadowfax), देल्हीवेरी (Delhivery), एलआईसी (LIC), बायजूज (Byju’s), अनअकैडमी (Unacademy) और शादी.कॉम (Shaadi.com) जैसी कंपनियां यहां रजिस्टर्ड लोगों को नौकरी दे रही हैं। वहीं वेब पोर्टल टीमलीज (Teamlease)के मुताबिक, अनलॉक 1 के बाद से ब्लू कॉलर हायरिंग में 8 से 10 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।उधर, कोरोना के आफतकाल में गरीबों को मसीहा के तौर पर उभरे अभिनेता सोनू सूद ने विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासियों अपने खर्चे पर घर भेजने की जिम्मेदारी उठाई और अब उन्हें फिर से रोजगार दिलाने का संकल्प पर काम कर रहे हैं। उन्होंने जुलाई में प्रवासी रोजगार पोर्टल लॉन्च किया। इस प्लैटफॉर्म पर अभी तीन लाख जॉब ऑपनिंग्स हैं। यहां एलऐंडटी (L&T), टाटा मोटर्स (Tata Motors), वेलस्पन (Welspun) और मकीनो ऑटो (Makino Auto) जैसी कंपनियां हायरिंग ऑफर्स दे रही हैं। प्लैटफॉर्म के जरिए 1.09 लाख नौकरियों के लिए एंप्लॉयर और एंप्लॉयी की बातचीत फाइनल स्टेज में है। वहीं, 20 हजार इंटरव्यू की प्रक्रिया चल रही है। प्रवासी रोजगार का अपना ऐप भी है। खास बात यह है कि यह प्लैटफॉर्म लोगों को नए तरह की स्किल या ज्यादा दक्षता प्रदान करवाती है। इसके लिए उसने स्थानीय संस्थानों से टाइ अप कर रखा है। खबरों को देखने के लिए👇👇👇👇


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