यूपी में दिल्ली जैसे 7 शाहीन बाग / लखनऊ में 43 तो कानपुर में 53 दिन से जारी धरना, अलीगढ़ में हिंसा भी हुई; सभी बोले- सीएए हटने के बाद ही हटेंगे - मानवी मीडिया

निष्पक्ष एवं निर्भीक

.

Breaking

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, March 1, 2020

यूपी में दिल्ली जैसे 7 शाहीन बाग / लखनऊ में 43 तो कानपुर में 53 दिन से जारी धरना, अलीगढ़ में हिंसा भी हुई; सभी बोले- सीएए हटने के बाद ही हटेंगे


  • रविवार 01 मार्च 2020।           लखनऊ के घंटाघर पर प्रदर्शन में शामिल लड़की बारिश में भीगकर बीमार हुई, इलाज के दौरान अस्पताल में दमतोडा *लखनऊ सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में दो महीने से ज्यादा समय से धरना जारी है। इसी की तर्ज पर यूपी के 7 शहरों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं। लखनऊ के घंटाघर पर चल रहे प्रदर्शन में इन दिनों परीक्षाओं की वजह से भीड़ कम हुई है। लेकिन, प्रदर्शन की सबसे दर्दनाक तस्वीर भी यहीं से सामने आई है। यहां प्रदर्शन में बैठी लड़की बारिश में भीगकर बीमार हुई और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। कानपुर में धरने पर बैठी महिलाओं को पुलिस ने हटाया तो उन्होंने सड़क पर कब्जा कर लिया। मजबूर होकर प्रशासन को पार्क में धरना देने की अनुमति देनी पड़ी। अलीगढ़ में चल रहे प्रदर्शन के दौरान माहौल बिगड़ा तो वहां इंटरनेट बंद करना पड़ा था। मुरादाबाद में चल रहे प्रदर्शन के दौरान हुए हंगामे के बाद प्रशासन ने धरने में शामिल शायर इमरान प्रतापगढ़ी को 1 करोड़ 4 लाख रु. का नोटिस दिया। सहारनपुर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा है तो प्रयागराज में धरनास्थल पर बारिश का पानी भरने के बाद भी महिलाएं हटी नहीं। आजमगढ़ के बिलरियागंज कस्बे में धरने पर बैठी महिलाओं को पुलिस ने लाठी मारकर भगा दिया। इन महिलाओं से मिलने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पहुंची थीं। यूपी के 7 शहरों से ग्राउंड रिपोर्ट...1. लखनऊ: महिलाओं ने बनाया सांकेतिक डिटेंशन सेंटर






 



  • लखनऊके घंटाघर पर 17 जनवरी से प्रदर्शन जारी है। हम यहां शाम 5 बजे के आसपास पहुंचे। 43 दिन से चल रहे धरने में महिलाओं की संख्या आम दिनों से काफी कम नजर आ रही है। महिलाओं ने बताया- इस समय बच्चों की परीक्षा चल रही है, इस वजह से महिलाएं थोड़ा व्यस्त हो गई हैं। यहां महिलाओं ने सांकेतिक डिटेंशन सेंटर भी बनाया है। बगल में भारत के नक्शे का बड़ा कटआउट भी लगा है। कुछ महिलाएं रंगोली तो कुछ चार्ट पेपर पर नए-नए स्लोगन्स लिख रही हैं। फखरुद्दीन की बेटी तैय्यबा बीए की छात्रा थी। वह भी घंटाघर पर अन्य महिलाओं के साथ धरने पर बैठी थी। ठंड में हुई बारिश में भीगने से उसकी तबीयत बिगड़ गई। पिछले रविवार को उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई। फखरुद्दीन बेटी को वकील बनाना चाहते थे। वह कहते हैं- ‘‘तैय्यबा कहती थी पापा मैं आपका ख्वाब पूरा करूंगी, मेरी बेटी मेरा ख्वाब पूरा कर गई, पूरे हिंदुस्तान में उसका नाम हो गया।‘‘ प्रदर्शन के दौरान सुर्खियों में आई शायर मुनव्वर राना की बेटी सुमैया कहती हैं कि यह सही है कि लखनऊ में धरना शाहीनबाग की तर्ज पर शुरू हुआ था। लेकिन, शाहीनबाग अगर किसी बीच के रास्ते पर उठ जाता है तो हम तब भी नहीं उठेंगे। हम तब तक बैठेंगे जब तक सीएए, एनआरसी और एनपीआर की वापसी नहीं हो जाती है। प्रशासन ने महिलाओं के प्रदर्शन से जुड़ी 4 एफआईआर की है, जिसमें 298 लोगों को आरोपी बनाया गया है।


  2. कानपुर: विरोध के आगे झुका प्रशासन, पार्क में धरना देने की इजाजत दी





 


 कानपुर के मोहम्मद अली पार्क में सीएए के खिलाफ धरने पर बैठी महिलाओं का कहना है कि दिल्ली में जिन्होंने भी दंगा किया, वह हिंदुस्तानी नहीं हो सकते। महिलाओं का कहना है कि सीएए के विरोध की आड़ में दंगा करने वाले साजिशकर्ता हैं, जो देशभर में तमाम जगह शांति से बिल का विरोध करने बैठे लोगों को बदनाम करना चाहते हैं। 53 दिन से कानपुर के मोहम्मद अली पार्क में धरना दे रही महिलाओं की संख्या और उनके हौसलों में कोई कमी नहीं आई है। 9 फरवरी को पुलिस ने महिलाओं को पार्क से खदेड़ा तो महिलाएं चमनगंज सड़क रोककर बैठ गईं। मुख्य सड़क बंद होने से स्कूल, दुकानें और यातायात पूरी तरह ठप हुआ। पुलिस को मजबूरन पार्क में धरना देने की अनुमति देनी पड़ी। पुलिस ने 7 फरवरी को 80 लोगों को नोटिस जारी किया था जबकि 200 लोगों पर शांतिभंग की कार्रवाई की है।


3. अलीगढ़: हिंसा की चपेट में आया धरना, इंटरनेट बंद करना पड़ा





ईदगाह पर महिलाओं का धरना चल रहा है। बीते रविवार को महिलाओं ने ईदगाह से 1 किमी दूर कोतवाली के सामने धरना शुरू करने के लिए रास्ता बंद कर दिया, जिस पर पुलिस ने आपत्ति जताई। हालत बेकाबू होने लगे तो शहर काजी ने आकर मामला संभालना चाहा, लेकिन उसी बीच भीड़ से किसी ने पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिससे हालात बिगड़ गए। युवक को गोली लगी, पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई गई, कई पुलिसवाले घायल हुए। प्रशासन को इंटरनेट भी बंद करना पड़ा। अलीगढ़ में ईदगाह से तकरीबन 5 किमी दूर अलग-अलग दिशाओं में दो धरने और चल रहे हैं, जिनमें स्थानीय महिलाएं लगातार हिस्सा ले रही हैं। इस प्रदर्शन को लेकर पुलिस की तरफ से अब तक 6 एफआईआर की जा चुकी है, जिसमें 1000 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया है।4. मुरादाबाद: धरने में शायर इमरान प्रतापगढ़ी शामिल हुए तो 1.04 करोड़ का नोटिस





29 जनवरी से ईदगाह मैदान पर धरना शुरू हुआ। खास बात यह है कि यहां तम्बू-कनात लगे हुए हैं, ओढ़ने-बिछाने के बिस्तरों का भी पूरा प्रबंध है। जबकि, लखनऊ की प्रदर्शनकारी महिलाएं इन व्यवस्थाओं के लिए संघर्ष कर रही हैं। मुरादाबाद में पुरुष भी धरने में शामिल हैं। उनके बैठने के लिए अलग व्यवस्था है। हर शुक्रवार को महिलाएं वहां पहुंचकर अपना विरोध दर्ज कराती हैं। मुरादाबाद से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़े शायर इमरान प्रतापगढ़ी भी धरने में शामिल हुए थे। अब प्रशासन ने उन्हें नोटिस भेजकर 1 करोड़ 4 लाख रुपए के जुर्माने का नोटिस भेजा है। महिलाओं का कहना है- हम शाहीन बाग की तर्ज पर प्रदर्शन जरूर कर रहे हैं, लेकिन उनका हर फैसला मंजूर नहीं करेंगे। वह भले ही सीएए हटने से पहले उठ जाएं, हम नहीं उठेंगे।



5. सहारनपुर: 34 दिन में कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई





34 दिन पहले जमियत उलेमा-ए-हिन्द ने देवबंद के ईदगाह पर धरना शुरू किया था। बाद में धरने की कमान पुरुषों की जगह महिलाओं ने संभाल ली। अब यहां मुत्तहिदा ख्वातीन कमेटी का बैनर लगा हुआ है और उसी के अंतर्गत सारा धरना जारी है। धरने में शामिल फरहीन जहां कहती हैं कि धर्म के आधार पर नागरिकता देना और धर्म के आधार पर नागरिकता न देना संविधान की हत्या जैसा है। इसे वापस लिया जाना ही चाहिए। अदीबा कहती हैं कि दिल्ली की हिंसा अफसोसजनक है। सदियों से भारत में हिन्दू-मुस्लिम भाई-भाई की तरह रहे हैं। ईद-होली साथ मनाई है। दिल्ली में हिंसा साजिश है। खास बात यह है कि सहारनपुर में चल रहे धरना-प्रदर्शन में अभी तक कोई पुलिसिया कार्रवाई नहीं हुई है।


6. प्रयागराज: मंसूर अली पार्क की सीसीटीवी से हो रही निगरानी





प्रयागराज के मंसूर अली पार्क में 14 जनवरी से शुरू हुआ धरना आज भी जारी है। 18 जनवरी और 16 फरवरी को पुलिस महिलाओं को उठाने पहुंची, लेकिन उनके विरोध के कारण पुलिस को वापस लौटना पड़ा। बारिश का पानी पार्क में भरा, लेकिन महिलाओं ने हार नहीं मानी और धरने पर डटी रहीं। अब आन्दोलनरत महिलाओं ने आशंका के चलते पार्क के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए हैं। धरने में शामिल महिलाओं को आशंका है कि आंदोलन खत्म करने के लिए अराजकतत्व माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे लोगों पर नजर रखने के लिए एक दर्जन से अधिक कैमरे पार्क के प्रमुख स्थानों पर लगाए गए हैं।7. आजमगढ़: 12 घंटे ही चला धरना, पुलिस ने लाठीचार्ज कर महिलाओं को भगाया





आजमगढ़ के बिलिरियागंज कसबे में 4 फरवरी को महिलाएं सीएए के खिलाफ लामबंद हुईं। लेकिन, रात दो बजे पुलिस ने धरनास्थल जौहर अली पार्क में बैठी महिलाओं को लाठीचार्ज कर खदेड़ दिया। पुलिस पर आरोप है कि लाठीचार्ज महिलाओं के ऊपर किया गया। तनाव बढ़ता देख इस मामले में पुलिस ने एक धर्मगुरु समेत 1 दर्जन लोगों को हिरासत में लिया। मामले की जानकारी हुई तो 12 फरवरी को पीड़ित महिलाओं से मिलने के लिए प्रियंका गांधी भी पहुंच गईं। उन्होंने कहा- आप सभी के साथ गलत किया गया है। हमें इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा। यह सरकार पूरी तरह से गरीबों के खिलाफ है। जिन लोगों पर अत्याचार हुआ है और जो लोग जेल में बंद हैं उनको न्याय दिलाने की कोशिश हर संभव की जाएगी। आजमगढ़ में अब धरना नहीं हो रहा है।



Post Top Ad