हर डूबने वाले को यस-यस बोलना पड़ा भारी... और दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया बैंक - मानवी मीडिया

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Friday, March 6, 2020

हर डूबने वाले को यस-यस बोलना पड़ा भारी... और दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया बैंक




  • बिज़नेस शुक्रवारर 06 मार्च, 2020 |नई दिल्ली : यस बैंक के संकट ने बाजार में कोहराम मचा दिया है। बैंक से पैसे निकासी की सीमा तय होने के बाद से ही उपभोक्ताओं के माथे पर लकीरें खिंच गईं। वहीं, शुक्रवार को शेयर बाजार खुलते ही बाजार में कोहराम मच गया और यस बैंक के शेयर करीब 80 फीसदी तक टूट गए। अब कहा जा रहा है कि इसके लिए कोई और नहीं, यस बैंक अपनी इस हालत के लिए खुद ही जिम्मेदार है। यह बात इसिलए कही जा रही है कि बैंक ने हर डूबने वाले को लोन दिया है। चाहे जेट एयरवेज हो, सीसीडी, या फिर दीवान हाउसिंग, हर किसी को यस बैंक लोन दिए बैठा है। यही वजह है कि अब वह खुद वित्तीय संकट से जूझ रहा है।भारत में बैंकिंग सेक्टर में आईएल एंड एफएस, दीवान हाउसिंग, जेट एयरवेज, कॉक्स एंड किंग्स, सीजी पावर, कैफे कॉफी डे, एल्टिको के नाम बैड ब्वायज़ को कर्ज देने वाले बैंकों पर नजर डालेंगे तो उसमें आपको यस बैंक एक प्रमुख कर्जदाता के तौर पर दिखेगा। ये सभी वे कंपनियां हैं, जिन्हें बैंकिंग सेक्टर में बैड ब्वायज़ कहा जाता है। जिन्हें लोन देने वाले बैंकों को पछताना पड़ा। यस बैंक ने लगभग हर उस कंपनी को कर्ज दिया, जो बाद में दिवालिया हो गई या उसकी हालत बेहद खराब हो गई।






1400 का शेयर साढ़े पांच रुपये पहुंचाऐसा नहीं है कि यस बैंक ने बिना सोचे-समझे ही लोन दिए। अपना रिस्क कैल्कुलेट करते हुए बैंक ने उन कर्जदारों से अधिक ब्याज वसूला, जहां पैसे डूबने का खतरा था। यही वजह है कि करीब एक दशक में ही यस बैंक लगभग 3 लाख करोड़ के असेट वाला बन गया। शेयर बाजार ने भी यस बैंक की ग्रोथ को खूब नवाजा और एक वक्त था जब यस बैंक का शेयर 1400 रुपए से भी अधिक का हो गया था। वहीं आज ये हालत है कि बैंक के शेयर ने 5.55 रुपए का लेवल भी छू लिया है।


तबाही का कारण बन गया मास्टर स्ट्रोकबैंक की इतनी तगड़ी ग्रोथ की असल वजह यस बैंक के एमडी राना कपूर थे, जो लगभग हर डील क्रैक कर लिया करते थे। शुरू में जो यस बैंक का मास्टर स्ट्रोक लग रहा था, वह बैंक के लिए मुसीबत का सबब बन गया। कह कहते थे कि एनपीए यूं ही नहीं बन जाता, बल्कि ऐसा होने में 3-4 साल लग जाते हैं। वही हुआ भी। 3-4 सालों में बैंक की असल तस्वीर सबके सामने आ गई। अधिकतर लोन 2008 के बाद दिया गया, जब आर्थिक स्थिति खराब हो ररही थी। कुछ ही समय बात भारतीय अर्थव्यवस्था ने जीडीपी में तगड़ी गिरावट देखी। पिछले 2 सालों में यस बैंक की तरफ से एक के बाद एक सरप्राइज सामने आए। बैंक की हालत लगातार खराब होती चली गई।




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