वाराणसी सोमवार 10 फरवरी 2020 उ प्र सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा जीरो टालरेंस की नीति पर प्रदेश को चलाने के दावे की हवा प्रधानमन्त्री के क्षेत्र से निकलती नजर आ रही है भले ही पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की विद्युत आपूर्ति चुस्त दुरुस्त एवं यहाँ हो रहे भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिये प्रदेश सरकार ने ईमानदार छवि की पहचान रखने वाले के०बालाजी को प्रबंधनिदेशक की कमान सौंपी है परन्तु अनुभव ही प्रबंधन पर भ्रष्टाचारियों की पै बारा हो रही है रातो दिन प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन हो या प्रबंधन निदेशक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम यह भ्रष्टाचारी पूरा तरह से हावी हो कर भ्रष्टाचार का तांडव कर रहे है और उनकी यह चाले नातो एम देवराज यानि देवो के राजा और ना ही के बालाजी जो कि शक्ति के अवतार समझ पा रहे हैं और यह भ्रष्टाचारी समूह बना कर लूट की छूट का मजा ले रहे हैं क्यो कि यह तो भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी है आज यहाँ और कल कहाँ इनको खुद ही नही पता होता वैसे विद्युत आपूर्ति तो सामान्य है लेकिन भ्रष्टाचार सरचढ़ कर बोल रहा है इस पर लगाम लगती नजर नही आ रही है डिस्कॉम मुख्यालय से ले कर पूर्वांचल के अधिकतम क्षेत्रो मे अब भ्रष्टाचार को ले कर विभागीय कर्मचारियों ने अपने अधिकारियों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है जनपद देवरिया मे अपनेही अधीक्षण अभियंताओ पर अवर अभियंता आंनद यादव ने जबरन 50 हजार रुपये प्रति माह अवैध तरीके से वसूली का आरोप लगाया है जिसे लेकर राज्य विद्युतपरिषद जूनियर इंजीनियर संगठन ने देवरिया के अधीक्षण अभियंता के विरुद्ध FIR एवं निलम्बन की मांग को ले कर आन्दोलन की चेतावनी दी है
*कब तक भ्रष्टाचार की जाँच भ्रष्टाचारी करेगे*
वैसे तो विद्युत विभाग भ्रष्टाचार के लिये मशहूर है जिसका मुख्य कारण है कि इस विभाग मे बड़े घोटाले हो या भ्रष्टाचार की गम्भीर शिकायत जाँच त्वरित शुरू होती है पर उसके पूरे होने की अवधि की कोई सीमा नही होती । जाँच खत्म होने से पहले ही वह भ्रष्टाचारी सेवानिवृत्त हो कर सारे फण्ड ले कर घर चला जाता है और फाइलो मे जाँच चलती रहती है फिर नया प्रबंध निदेशक सरकार नियुक्त कर देती है जिसे इन सब जाँच और घोटाला चार्जशीट आदि के बारे मे मिलेम ही नही होता जिससे कि इन भ्रष्टाचारियों का हैसला बुलन्द रहता है किनही करणो से कोई शिकायती फाइल उनके हिथ लग भी जाती है तो तेरी भी चुप तो मेरी भी चुप वाला फार्मूला काम मे लाया जाता है इन सके बाद भी अगर कोई शिकायत पर कार्रवाई कोई आदेश बाहर निकल जाता तो भी फिक्र की कोई बात नहीँ जिसका मुख्य कारण है जिस भ्रष्टाचार की जाँच के लिये जो अधिकारी या कमेटी बनाई जाती है उसमें प्रबन्धन द्वारा चुनकर भ्रष्टाचारियों को नामित किया जाना विभाग की नीति रही है जिस प्रकार दिसम्बर माह मे देवरिया के एक अधिकारी द्वारा अपने विभाग के वाहन ठेकेदार को जबरन डराने और उत्पीड़न के ऑडियो वायरल होने की घटना पर प्रबंधनिदेशक ने सिविल के मुख्य अभियंता संजय जैन को
जांच के लिये नामित किया जांच हुआ प्रचलित है यह तो खबर नही है पर खुद संजय जैन पूर्वांचल मे मुख्य अभियंता का कार्यभार ग्रहण करने के बाद लगातार पहले तो हिस्टल मे सपरिवार डेरा जमाए रहे और अपने आलीशान कार्यालय और अपने बंगले की सजावट मे लगभग 50 लाख निगम की धनराशि खर्च करने के नाम पर विवादो की चर्चाओ मे मशहूर है जैसा कि हमारे सूत्र बताते है । वैसे इनके बंगले और दफ्तर का फण्ड किस मद से भुगतान हुआ ये कहानी राम जाने या विभाग से भुगतान करने वाले भ्रष्टाचारी तो फिर इस तरह के जांच अधिकारियों से निगम और सरकार एवं पीड़ित को क्या न्याय मिलेगा वैसे कैम्पस मे यह चर्चा आम है कि साहब अपने सामने सभी को छोटा समझते है और बडे गुरूर से अपने भ्रष्टाचारी फौज की कमान संभालते हैं । *खैर* जारी है दास्ताने भ्रष्टाचार
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Monday, February 10, 2020
पूर्वांचल मे विद्युत विभाग में भ्रष्टाचार कर रहा है ताडव*
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