कंप्यूटर की अच्छी जानकारी का 10वीं फेल युवकों ने लिया लाहा, फर्जी वैबसाइट्स बना कर PHD छात्रों से ठगे करोड़ों  - मानवी मीडिया

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Friday, February 7, 2020

कंप्यूटर की अच्छी जानकारी का 10वीं फेल युवकों ने लिया लाहा, फर्जी वैबसाइट्स बना कर PHD छात्रों से ठगे करोड़ों 




  • राष्ट्रीय शुक्रवारर 7 फरवरी, 2020 |गाजियाबाद हमारे देश में आपने ठगी के लाखों मामले देखे या सुने होंगे पर गाजियाबाद में एक ऐसा ठगी का मामला सामने आया है जो आप सभी को आश्चर्यचकित कर देगा। पुलिस ने गाजियाबाद के डासना के शक्ति नगर से 3 युवकों को गिरफ्तार किया जो एक कमरे में बैठकर ठगी का बड़ा नैटवर्क चला रहे थे। हैरानी की बात ये है कि तीनों युवक 10वीं फेल हैं। तीनों आरोपी व इनके साथी खुद को प्रोफेसर बता कर भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के पीएचडी छात्रों को चूना लगा रहे थे। मसूरी पुलिस ने मुखबिर की सूचना के बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने इनके पास से दो लैपटॉप, 11 एटीएम, कुछ पासबुक व अन्य सामान बरामद किए हैं। गिरोह के अन्य साथियों की तलाश की जा रही है।थाना प्रभारी नरेश सिंह ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि डासना के शक्ति नगर के एक कमरे में कुछ युवक अपने घर से कंप्यूटर के माध्यम से कुछ गलत काम कर रहे हैं। इसके बाद टीम ने बुधवार रात मौके पर जाकर छापेमारी की। वहां कमरे में पुनीत कुमार, चंद्रशेखर और परवेज नाम के तीन युवक मिले। ये तीनों डासना के ही रहने वाले हैं। इनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि ये लोग यहां से बैठकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नार्वे, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, मलेशिया, पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों के पीएचडी स्टूडेंट्स (शोधकर्ताओं) को उनके शोध इंटरनैशनल जनरल में छपवाने का झांसा देकर ठगते थे।छात्रों को झांसा देने के लिए इन्होंने एक वेबसाइट बना रखी थी। इसी के माध्यम से स्टूडेंट्स इनसे संपर्क करते थे। उन्होंने बताया कि अकेले पुनीत की दो पासबुक में 350 ट्रांजैक्शन विदेशों से हुई है। गैंग अभी तक हजारों लोगों से 2 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है।पुनीत ने पूछताछ में बताया कि वह और उसके साथी 10वीं फेल हैं। उसने 10वीं का फॉर्म भर रखा है। उसने बताया कि कंप्यूटर की अच्छी जानकारी होने के कारण वह पूर्व में एक जनरल के ऑफिस में काम कर चुका है। वहां उसने काफी कुछ सीखा था। इसके बाद उसने नौकरी छोड़ी और अपने साथियों के साथ मिलकर फर्जी जनरल वेबसाइट बना ठगी का काम शुरू किया। वेबसाइट बनाकर वह खुद को कभी एमबीए, कभी एमडी तो पीएचडी केमिस्ट्री बताता था। गिरोह अपने जनरल का एफलिएशन अलग-अलग यूनिवर्सिटी व संस्थानों से दिखाते थे, जो फर्जी होते थे।नरेश सिंह के अनुसार, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये लोग समय-समय पर नई वेबसाइट बनाकर स्टूडेंट्स को फंसाते थे। मौजूदा समय में गिरोह इंटरनैशनल जरनल ऑफ हिस्ट्री एंड साइंटिफिक स्टडीज रिसर्च www.ijhss.org के नाम से एक वेबसाइट चला रहा था। इसमें गिरोह के सरगना पुनीत ने खुद को एडिटर-इन-चीफ डिपार्टमेंट ऑफ केमिस्ट्री संजय गांधी स्मृति कॉलेज मध्यप्रदेश बता रखा है। पुनीत ने बताया है कि वे लोग एक रिसर्च पब्लिश करवाने के नाम पर 50 से 100 डॉलर तक लेते थे। कई छात्रों से रुपये लेने के बाद वह वेबसाइट बंद कर नई वेबसाइट तैयार करते थे।




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