कांग्रेस देश को मजबूत होते नहीं देखना चाहती : डा दिनेश शर्मा - मानवी मीडिया

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Sunday, February 23, 2020

कांग्रेस देश को मजबूत होते नहीं देखना चाहती : डा दिनेश शर्मा

रविवार 23 फरवरी 2020                यूपीकी शिक्षा व्यवस्था में आए क्रान्तिकारी बदलाव प्रदेश में  विलुप्त हो रहे हैं नकल माफिया  फिरोजाबाद। उपमुख्यमंत्री डा दिनेश शर्मा ने देश में अमेरिका के राष्ट्रपति के आगमन  को लेकर कांग्रेस द्वारा उठाए जा रहे सवालों   को गैर जरूरी बताते हुए कहा कि  कांग्रेस की मंशा  है भारत मजबूत नहीं होने पाए इसीलिए वह भारत की सैन्य व्यवस्था और विदेशी कूटनीति पर सवाल उठाती रहती है। डा शर्मा ने कहा कि  अमेरिका के साथ बेहतर सम्बंधों का लाभ भारत को ही मिलेगा। इसका हाल में उदाहरण देखने को मिला है जब अमेरिका  भारत पाकिस्तान से जुडे एक प्रकरण में  भारत के पक्ष में खडा नजर आया । यह पीएम मोदी की कूटनीति की जीत थी। पत्रकारों से बात करते हुए  उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह ध्यान में रखना चाहिए कि अमेरिका के साथ अच्छे सम्बंध भारत के हित में आवश्यक हैं। शाहीन बाग से जुडे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कुछ लोग सीएए के बारे में दुष्प्रचार कर रहे हैं। सडक को रोकना न्यायालय की अवहेलना व नागरिकों के अधिकार का हनन है। सरकार समय पर कडी कार्रवाई करेगी। यूपी में नई पार्टी के आगमन व विस्तार से जुडे सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इससे भाजपा पर नहीं बल्कि अन्य दलों  पर असर पडेगा।    इसके पूर्व एसआरके शिक्षण संस्थान के शताब्दी समारोह में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री डा रमेश पोखरियाल निशंक  व भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव डा अनिल जैन की उपस्थिति में   उन्होंने कहा कि  पिछली गैर भाजपा सरकारों  के समय में प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था खस्ताहाल हो गई थी। परीक्षा व्यवस्था व्यवसाय बन गई थी और लाखों रूपए में परीक्षा केन्द्र बिकने की चर्चा होती थीं । उन्होंने कहा कि समय के बदलाव के साथ ही देश व प्रदेश की स्थितियां भी बदली हैं। केन्द्र सरकार जहां देश में नई शिक्षा नीति लाने जा रही है वहीं प्रदेश में सरकार ने प्रयास किया है कि गुणवत्ता परक शिक्षा हो तनावमुक्त विद्यार्थी हों ,नकल विहीन परीक्षा हो तथा सुखी मन शिक्षक हों। आज प्रदेश में शान्तिपूर्ण तरह से नकलविहीन परीक्षाएं सम्पादित हो रही हैं। नकल माफिया के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई के निर्देश दिए गए हंै। उन्होंने कहा कि आज दूसरे प्रदेश से आकर परीक्षा देने वालों की संख्या कम हुई है। परीक्षा छोडने वालों की सख्या में भी कमी आ रही है। नकल करने वालों को समझ में आ चुका है कि पढेंगे तभी आगे बढ पाएंगे। सरकार की सख्ती के कारण ही आज नकल माफिया की दाल नहीं गल पा रही है और वे अब विलुप्त होते जा रहे हैं।  उन्होंने कहा कि  प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव आया है।  भाजपा की सरकार के पहले की सरकारों में शिक्षा व्यवस्था का बुरा हाल था। परीक्षा केन्द्रो में खुलेआम नकल होती थी। परीक्षा एक व्यवसाय बनकर रह गई थी ।   उन्होंने कहा कि मैने 2017 में भाजपा की सरकार बनने के बाद जब शिक्षा मंत्री के नाते पहली बार परीक्षा केन्द्र का निरीक्षण किया तो कालेज से बाहर जाती वैन देखकर पूछा कि यह क्या लेकर जा रही है। इस सवाल का जवाब मिला मिला कि इसमें  जो नकल की समग्री पकडी गई है वह ले जाई जा रही है। यह जवाब प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की असल स्थिति को दर्शा रहा था। उस समय में नकल के लिए  हर हथकंडा अपनाया जाता था। डा शर्मा ने कहा कि सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ने सबसे पहले कहा था कि पठन पाठन में शुचिता लानी है। आज यूपी बदल रहा है और साथ में शिक्षा के क्षेत्र में भी बडे बदलाव आ रहे हैं।  अब भाजपा सरकार के आने के बाद परीक्षाए नकलविहीन  हो रही है। परीक्षा केन्द्र का निर्धारण आनलाइन कर दिया गया है। पूरे प्रदेश में इस बार एक लाख नब्बे हजार सीसीटी कैमरे लगे हैं जो अपने आप में एक विश्व रिकार्ड है। दुनिया के सबसे बडे बोर्ड की परीक्षा में 1 लाख 88 हजार कक्ष निरीक्षक परीक्षा करा रहे हैं।  करीब 94 हजार कमरों में 56 लाख से अधिक परीक्षार्थी 10वीं और 12वीं की परीक्षा दे रहे हैं। इस बार मात्र 7784 परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा हो रही है जबकि 2017 के पूर्व 13 हजार से अधिक परीक्षा केन्द्र  पर परीक्षा होती थी। पूर्व की सरकारों में दो महीने चलने वाली परीक्षाएं इस बार मात्र 12 से 15 दिन में समाप्त हो जाएंगी  यह भी एक रिकार्ड है।  पहले हाल यह था कि स्कूलों में  अवकाश की संख्या इतनी होती थी कि साल में 7 माह शिक्षण कार्य ही नहीं होता था। मात्र चार पांच  माह में कोर्स समाप्त किया जाता था। वर्तमान सरकार ने इन अवकाशों की संख्या को कम किया है। अब सत्र के पहले दिन ही शैक्षिक पंचाग जारी कर यह तय कर दिया जाता है कि किस दिन क्या पढाया जाएगा। इस बार पहले दिन ही परीक्षा की तिथि भी बता दी गई थी। साल में 220 दिन शिक्षण की व्यवस्था की गई है। यह  माना गया है कि इतने अध्ययन के बाद विद्याथी  नकल नहीं करेंगे। इस बार 24 अप्रैल तक परीक्षा परिणाम भी जारी कर दिया जाएगा। पिछली सरकारों ने प्रदेश में  शिक्षा की जो दुर्दशा कर रखी थी उसका दूसरा बडा उदाहरण यह था कि एक ही विषय की हर जिले में अलग लेखक की किताब चलती थी और वह मनमाने दाम पर बिकती थी। सरकार ने इस पर अंकुश के लिए सबसे पहले पाठ्यक्रम में बदलाव किया और एनसीईआरटी का  पाठ्यक्रम लागू करने के साथ ही एनसीईआरटी की पुस्तके भी लागू की और प्रदेश में यह पुस्तके देशभर में सबसे कम दाम पर उपलब्ध कराई हैं। यह पारदर्शी व्यवस्था का परिणाम है। उत्तर प्रदेश में देश के प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में शिक्षा क्षेत्र में आए बदलाव के बाद हर कार्य समय पर हो रहा है। जबसे केन्द्र सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय की बागडोर को डा रमेश पोखरियाल निशंक  ने संभाला है शिक्षा व्यवस्था में सुधार शुचिता और पारदर्शिता लाने के प्रयास हुए हैं। यूपी के मुख्यमंत्री ने भी शिक्षा क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है। प्रदेश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी सकारात्मक बदलाव आएं हैं। शोध कार्य पर विशेष बल दिया गया है। उन्होंने विदेश यात्रा के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि  पहले हिन्दुस्तान के लोगों को विदेश में कमजोर और गरीब माना जाता था पर मोदी सरकार के आने के बाद इस धारणा में बदलाव आया है। भारतीयों की क्षमता का लोहा आज अमेरिका भी मान रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति भी यह कहते हंै कि इन भारतीयों से बचकर रहना कहीं यह अमेरिका  के लोगों के रोजगार को छीन न लें। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्था के 100 वर्ष पूर्ण होना गौरवशाली क्षण है तथा यही वह समय है जब आगे की रूपरेखा पर विचार किया जा सकता है। पुरातन छात्रों  के सम्मान के समय उनकी आंखों की चमक बता रही थी कि इन छात्रों ने अपने अपने क्षेत्र में विशिष्ट दर्जा हासिल किया है। कोई भी संस्था जो शिक्षा के क्षेत्र 100 वर्ष पूरे करती है जरूर उसने शिक्षा पर विशेष बल दिया होगा। 


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